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मुंबई समाचार : केवल 12 दिन चलेगा शीतकालीन सत्र, विदर्भ के साथ फिर अन्याय

विदर्भ के साथ फिर अन्याय, केवल 12 दिन चलेगा शीतकालीन सत्र

मुंबई समाचार : नागपुर में आयोजित होने वाले शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से 30 दिसंबर के बीच लेने का फैसला लिया गया है। मंगलवार को मुंबई स्थित विधानभवन में विधान मंडल कामकाज सलाहकार समिति की बैठक हुई। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्हे की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, विपक्ष के नेता अजित पवार समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता और अधिकारी उपस्थित थे।

10 दिन चलेगा काम : सलाहकार समिति की बैठक में लिए निर्णय के अनुसार, 12 दिनों का शीतकालीन सत्र होगा। जिसमें क्रिसमस सहित दो छुट्टी भी शामिल है। यानी सत्र केवल 10 दिन चलेगा। इस बार शीतकालीन सत्र में लगभग 21 विधेयक सदन में चर्चा के लिए पेश किए जाएंगे।

तीन हफ्तों का हो सत्र : इस दौरान विपक्ष के नेता अजीत पवार ने मांग की कि विदर्भ और मराठवाड़ा के मुद्दों को न्याय देने के लिए इस सत्र को कम से कम तीन सप्ताह तक आयोजित किया जाना चाहिए। जिसपर विधानसभा अध्यक्ष ने अगली बैठक के लिए टाल दिया। इसी के साथ पवार ने यह भी मांग की कि विधानसभा का कामकाज सुबह 9:30 बजे से शुरू किया जाए ताकि अधिक से अधिक सदस्य विधानसभा कार्य में सहभागी हो सके, इस पर फ़िलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है।  

विदर्भ के साथ फिर अन्याय : हर बार की तरह एक बार फिर विदर्भ के साथ अन्याय हुआ है। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि, सत्र 21 दिन यानी तीन हफ्तों का होगा, लेकिन इसे घटाकर दो हफ्तों कर कर दिया गया है। ज्ञात हो कि, कोरोना के कारण दो साल से नागपुर में शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं किया गया था। ज्ञात हो कि, नागपुर करार के अनुसार उपराजधानी में आयोजित होने वाली शीतसत्र कम से कम छह हफ्तों का होना चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि, दो हफ्तों से लंबा ज्यादा शायद ही कभी सत्र हुआ हो।

सीमा विवाद पर पेश करेंगे प्रस्ताव : इस बैठक में ये भी तय किया गया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इसी सत्र में सीमा मुद्दे पर प्रस्ताव पेश करेंगे। सालों से शांत पड़े कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद के बार फिर तेज हो गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के सांगली जिले के कुछ गांव पर अपना हक़ ज़माने के बाद यह विवाद फिर से गर्मा गया है। दोनों राज्यों के में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं इसको लेकर दोनों तरफ के नेताओं के बीच वाक युद्ध भी जारी है। 

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