नई दिल्ली समाचार : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अतिक्रमण को लेकर भारत और चीन की सेनाओं के बीच जारी तनातनी ने सोमवार की रात हिंसक झड़प ने गंभीर रूप अख्तियार कर लिया। मंगलवार को दिन में न्यूज़ एजेंसी एएनआइ व पीटीआइ ने एक कर्नल समेत 3 भारतीय जवानों के मारे जाने की जानकारी दी थी। अब रात करीब 10 बजे न्यूज एजेंसी एएनआइ ने 20 भारतीय जवानों के शहीद होने का दावा किया है। भारतीय सूत्रों के अनुसार सीमा पर झड़प में चीन के 43 सैनिकों की या तो मौत हुई या गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
गलवन में झड़प पर भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा कि भारत और चीन के सैनिक 15-16 जून की रात झड़प वाले गलवान इलाके से पीछ हट चुके हैं। भारत के जवान जो कर्तव्य निभाने में घायल हुए थे, उनमें से 20 शहीद हुए हैं। भारतीय सेना देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने को प्रतिबद्ध है।
गलवन घाटी में चीनी सैनिकों की सहमति के मुद्दे से पलटने के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई घंटे तक पत्थरबाजी और लाठी-डंडे से जबरदस्त झड़प हुई। एलएसी पर हुई इस हैरतअंगेज घटना में भारत के दर्जन भर से अधिक सैनिक गंभीर रुप से घायल हैं। चीन ने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या को लेकर अब भी चुप्पी साध रखी है।
चीन के आरोपों को खारिज करते हुए भारत ने किया खारिज
वहीं इस घटना के लिए भारतीय सैनिकों पर एलएसी का अतिक्रमण करने के चीन के आरोपों को खारिज करते हुए भारत ने साफ कर दिया कि तनाव घटाने के लिए वह बातचीत को राजी है मगर चीन की ऐसी हरकतों का भी भारत माकूल जवाब देगा। इस रुख के जरिये भारत ने चीन को एक तरह से साफ संदेश दे दिया है कि सैन्य बल की ताकत के सहारे सीमा विवाद को नये सिरे से लिखने की चीन की चालबाजी उसे कतई स्वीकार नहीं होगी।
भारत-चीन में सीमा विवाद पर साढ़े चार दशक बाद पहली बार खूनी संघर्ष
भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प की यह घटना इस लिहाज से असाधारण है क्योंकि 45 सालों बाद पहली बार सीमा विवाद में एलएसी पर ऐसी घटना हुई है। भारतीय सेना की ओर से दिन में गलवन घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हुई झड़प में भारत के एक सैन्य अफसर और दो जवानों की शहादत की बात कही गई। साथ ही भारतीय सेना ने चीनी पक्ष के भी इसमें हताहत होने की बात कही।
भारतीय सेना ने यह भी कहा कि गलवन में हुई इस झड़प और एलएसी की मौजूदा परिस्थिति पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारी आपसी बातचीत कर रहे हैं ताकि आमने-सामने के तनाव का समाधान निकाला जा सके। सैन्य सूत्रों के अनुसार चीन के 43 सैनिकों की या तो मौत हुई या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। चीन सरकार के मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक ने अपने सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि तो की मगर संख्या की जानकारी नहीं दी।
सोमवार रात को ऐसे हुआ घटनाक्रम
सैन्य सूत्रों के अनुसार सोमवार रात गलवान घाटी में इस हिंसक झड़प की शुरूआत चीनी सैनिकों के रुख बदलने से हुई। मोर्चे पर दोनों सेनाओं के बीच बनी सहमति के अनुरूप चीनी सैनिक गलवन घाटी से निकलने पर राजी हो गए, लेकिन कुछ ही देर बाद पलट कर भारतीय सैनिकों पर पत्थरों से हमला करने लगे और इस दौरान भारतीय बटालियन की कमान संभाल रहे अफसर और कुछ जवान गंभीर रुप से जख्मी हो गए। भारतीय सैनिकों ने भी तब जवाबी प्रहार करते हुए चीनी सैनिकों पर इसी अंदाज में उन पर धावा बोला।
कई घंटों तक एक दूसरे से झड़प करते रहे और देर रात संघर्ष थमा
सूत्रों के अनुसार पत्थरबाजी और लाठी-डंडे के अलावा दोनों देशों के सैनिक शारीरिक रूप से भी कई घंटों तक एक दूसरे से झड़प करते रहे और देर रात यह संघर्ष थमा। लेकिन इस दरम्यान भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए तो चीन के भी 43 सैनिकों की या तो मौत हुई या गंभीर रूप से घायल हुए। गलवन घाटी में चीन की इस हरकत के पीछे एलएसी पार कर इस इलाके में कब्जा करने की उसकी नीयत रही, जिसे भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया। दरअसल, गलवन घाटी 1962 से ही भारत के आधिपत्य में है जिसे चीन भी मानता रहा है। लेकिन अब चीन गलवन घाटी को भी एलएएसी के विवाद में लाना की चालबाजी में जुटा है।
लद्दाख सीमा पर पांच मई को शुरू हुआ चीनी अतिक्रमण
बीते पांच मई से लद्दाख सीमा चीनी अतिक्रमण से पैदा हुए गतिरोध को दूर करने के लिए वार्ता चल रही है, जिसमें 6 जून को दोनों देशों के शीर्ष कमांडर स्तर तक हुई वार्ता काफी अहम रही थी। इसमें बातचीत से गतिरोध का हल निकालने की सहमति बनी थी मगर गलवन घाटी में चीन ने इस सहमति को तोड़ा है। इतना ही नहीं चीनी विदेश मंत्री ने तो उलटे भारत पर एलएसी का अतिक्रमण का आरोप जड़ दिया, जिसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया।
चीन कर रहा बातचीत के साथ सीमा पर हथियारों का जमावड़ा
एलएसी पर चीन की चालबाजी को लेकर भारत इसलिए भी सतर्क है कि एक ओर वह वार्ता की बात कर रहा तो दूसरी ओर सीमा पर अपने इलाके में टैंकों, हथियारों के साथ बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावाड़ा कर चुका है। भारत ने भी इसके जवाब में एलएसी पर अपने सैनिकों और हथियारों की तैनाती कुछ उसी अंदाज में की है और जाहिर तौर पर चीन की बौखलाहट की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है।
हालांकि सीमा पर तनाव के गंभीर होने के बाद नई दिल्ली से लेकर बीजिंग तक दोनों तरफ से कूटनीतिक वार्ताओं के जरिये हल निकालने की पहल तेज हो गई। चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्त्री ने वहां के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत की तो शाम को चीन के उप विदेशमंत्री से भी उनकी कूटनीतिक समाधान को लेकर मंत्रणा हुई और दोनों देशों की ओर से तनाव घटाने के शुरूआती इरादों के संकेत भी दिए गए।