भारत-चीन के बीच झड़प के बाद पैदा हुए तनाव को कम करने के लिए जारी मेजर जनरल स्तर की बातचीत के बाद सैनिक रिहा किए गए हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जिन दस सैनिकों की रिहाई हुई है, उनमें कम से कम दो अधिकारी शामिल हैं। ये सभी गुरुवार शाम को भारतीय सीमा में वापस आ गए। हालांकि, सैनिकों की रिहाई पर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि हिंसक घटना के बाद कोई भी भारतीय सैनिक लापता नहीं है।
गलवान घाटी में मंगलवार से लेकर गुरुवार तक के बीच में दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की तीन राउंड की बातचीत के बाद दस सैनिको को चीन ने भारत को वापस भेजा है। कारू स्थित मुख्यालय 3 इन्फैंट्री डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत बापट और उनके चीनी समकक्ष ने गुरुवार को तीसरी बार मुलाकात की थी।
दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की बैठकें गलवान घाटी में हिंसा के बाद पैदा हुए तनाव को कम करने को लेकर चल रही हैं। गुरुवार को हुई तीसरी बातचीत सकारात्मक बिंदुओं पर तो खत्म हुई है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। दोनों देशों के सैन्य अधिकारी तनाव को कम करने के लिए आज भी बातचीत जारी रखेंगे। सूत्रों ने कहा कि चीन के साथ और अधिक सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई। इसे आगे भी लेकर जाने पर सहमति बनी है।
सैनिकों की रिहाई की जानकारी रखने वाले शख्स ने यह भी बताया कि सभी सैनिकों के वापस आने के बाद उनकी मेडिकल जांच भी की गई है। पिछले बार वर्ष 1962 में दोनों देशों के बीच युद्ध के दौरान चीन ने किसी भारतीय सैनिक को पकड़ा था। वहीं, सोमवार रात हुई हिंसक घटना से पहले साल 1975 में एलएसी पर किसी भी भारतीय सैनिक की शहादत हुई है। इससे पहले, कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत-चीन के बीच हुई हालिया घटना के बाद कई भारतीय सैनिक लापता हैं। हालांकि, सेना ने कहा था कि कोई भी भारतीय जवान लापता नहीं है।
झड़प में घायल सभी जवानों की हालत स्थिर
दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में जख्मी सभी भारतीय जवानों की हालत स्थिर है और वे जल्द ही अपनी ड्यूटी पर वापस लौट जाएंगे। भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि किसी भी जवान की हालत गंभीर नहीं है, वे सभी स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। 18 जवानों का इलाज सेना के लेह अस्पताल में चल रहा है और वे करीब 15 दिनों में अपनी-अपनी ड्यूटी पर लौट जाएंगे। वहीं, 58 जवान दूसरे अस्पतालों में भर्ती हैं और वे 7 दिनों के भीतर ही अपना कार्य संभाल लेंगे।