नागपुर समाचार : महापौर, नगरसेवक और अब केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी की ओर से लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे ने सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि मनपा आयुक्त नागपुर स्मार्ट सिटी पदेन संचालक होता है। स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ रामनाथ सोनवणे के इस्तीफा देने के बाद चेयरमैन प्रवीण सिंह परदेशी ने मोबाइल पर निर्देश देने के बाद ही स्मार्ट सिटी सीईओ का पदभार उन्होंने संभाला था। मुंढे ने 28 फरवरी को मनपा आयुक्त पद संभाला। इसके बाद 11 फरवरी को स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ सोनवणे ने इस्तीफा दिया। उनके इस्तीफे से रिक्त हुए स्मार्ट सिटी के सीईअो का मुंढे ने पदभार संभाला है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बिना अनुमति के मुंढे पर सीईओ का पदभार संभालने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस पद का दुरुपयोग कर स्मार्ट सिटी का फंड खर्च करने का भी आरोप है।
बायो माइनिंग का टेंडर फाइनल नहीं
मुंढे ने सभी आरोपों को खारिज किया। मुंढे ने सफाई में कहा है कि ट्रांसफर स्टेशन का टेंडर रद्द कर बायो माइनिंग का टेंडर जारी किया है। चेयरमैन से चर्चा के बाद ही यह निर्णय लिया गया। बायो माइनिंग का टेंडर अभी तक फाइनल नहीं हुआ है। संचालक मंडल की प्रस्तावित बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। कंपनी कर्मचारियों का वार्षिक कार्य मूल्यांकन करने के बाद कुछ कर्मचारियों को सेवामुक्त किया गया है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की प्रस्तावित बैठक में इसकी रिपोर्ट रखी जाएगी। मुंढे ने कहा कि कार्यालयीन खर्च तथा वेतन के अतिरिक्त केवल एक बिल का भुगतान किया गया है। वह भी पूर्व में मंजूर किए गए काम और अनुबंध किए गए ठेेकेदार और उसके किए काम का बिल है। इसमें किसी भी प्रकार की आर्थिक अनियमितता नहीं हुई है। कोरोना के चलते बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक नहीं हो पाई है। निकट भविष्य में बैठक प्रस्तावित है।
जनता को गुमराह न करें आयुक्त : जोशी
महापौर संदीप जोशी ने मनपा आयुक्त की सफाई पर फिर पलटवार किया है। महापौर ने कहा कि आयुक्त मीडिया को बता चुके हैं कि उन्हें चेयरमैन ने पत्र दिया है। 23 जून और 30 जून को दो पत्र देकर उन्हें इस पत्र की कॉपी मांगी गई। आयुक्त ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। अब मोबाइल पर निर्देश देने की बात कर रहे हैं।
ट्रांसफर स्टेशन का टेंडर रद्द कर बायो माइनिंग का टेंडर जारी करने से पहले चेयरमैन से चर्चा के आयुक्त के तर्क पर महापौर ने आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के स्तर से मंजूर टेंडर को रद्द करने का उन्हें किस कानून में अधिकार है, इस बात का भी खुलासा होना चाहिए। स्मार्ट सिटी के कर्मचारियों की नियुक्ति बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने की है। उन्होंने किस अधिकार का प्रयोग कर कार्यमुक्त किया।
20 करोड़ के बिलों का भुगतान
आर्थिक अनियमितता के सवाल पर महापौर ने कहा कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में स्मार्ट सिटी के खाते से अपने हस्ताक्षर कर 20 करोड़ रुपए के बिलों का भुगतान किया गया है। जब बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ही नहीं है, तब सीईओ का पदभार संभालना, अपने हस्ताक्षर कर बैंक से बिल भुगतान करने का उन्हें किसने अधिकार दिया है। 11 फरवरी को सीईओ का पदभार संभाला। एक महीने बाद 11 मार्च को कोरोना का पहला मरीज मिला। इस एक महीना कालावधि में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक लेने के संबंध में चेयरमैन के साथ क्या पत्र व्यवहार किया गया, इसका भी जवाब नागपुर की जनता चाहती है। महापौर ने आयुक्त के खुलासे पर प्रतिप्रश्न उपस्थित कर हर प्रश्न का जवाब मांगा है।