विद्यार्थियों ने दीं श्लोकों की कर्णप्रिय प्रस्तुतियां
नागपूर समाचार : श्लोक जैसी प्रतियोगिताएं समाज में संस्कार, आदर्श व प्रेरणा स्थापित कर सकती हैं। संस्कृत देव वाणी है और संस्कृत का साहित्य अध्यात्म की दृष्टि से ही नहीं मानव कल्याण की दृष्टि से भी अत्यंत कल्याणकारी है। बच्चों द्वारा श्लोकों की पावन ध्वनि से आज इस सभागार का वातावरण शांत व पवित्र अनुभव हो रहा है जिसकी कल्पना कर पाना असंभव है उक्त विचार आचार्य पंडित उमेश तिवारी ने विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम चौपाल के अंतर्गत श्लोक प्रतियोगिता में व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन से हुआ।
कार्यक्रम का संचालन विनोद नायक ने किया। विद्यार्थियों ने रामस्त्रोत, दुर्गा सप्तशती, नवग्रहस्तोत्र, शिवस्त्रोत, खाटू श्याम स्तुति, विष्णु सहस्त्रनाम, सरस्वती वंदना व शिव तांडव स्त्रोत के पावन श्लोक सुनाकर वातावरण भक्तिमय बना दिया। प्रथम पुरस्कार दीपक शर्मा, द्वितीय पुरस्कार नक्ष फलके, तृतीय पुरस्कार सचिन पयासी को प्रदान किया गया।
सांत्वना पुरस्कार आयुष पांडेय, पीयूष पांडेय, सुमित देशमुख, आशीष डिंडोरे, कृष्णा देशमुख, वेदांत कल्याणकर, भूपेंद्र पांडे, ऋषभ त्रिपाठी, नारायण शर्मा, रूचित गिरधर, आशीष पांडे, पंकज पाठक, पवन पाठक, शिवम पांडेय, मयंक मिश्रा, श्लोक त्रिवेदी, परीक्षित खरड़ीकर कलश तंबोडी, चिन्मय नारिंगे, आरना पद्मजा आरव माधव प्रिया हरिकृष्ण स्वनुज सारस्वत, प्रणव मिश्रा, वैष्णवी तिवारी, खुशी प्रिया व माधुरी मिश्रा को प्रदान किए गए।
श्री श्री रविशंकर गुरुकुल, इस्कॉन मंदिर व अन्य शालाओं के विद्यार्थियों ने भाग लिया। हरविंदर गांधी, शत्रुघ्न तिवारी, हेमंत पांडे, बद्री प्रसाद पांडे, सुभाष उपाध्याय, प्रवीण तिवारी, सौरव शुक्ला, वैभव शर्मा व गणेश नारायण कुलकर्णी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग प्रदान किया। आभार संयोजक विजय तिवारी ने माना