नागपुर : इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में 2 सितंबर की देर रात एक नर्स की कोरोना से मौत हो गई। दरअसल, यह नर्स कोविड अस्पताल का दर्जा पाने वाले समर्पण हॉस्पिटल में कार्यरत थी। इससे समर्पण हॉस्पिटल का पूरा नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर चला गया है। इस दौरान स्टाफ ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन भी किया। खास बात यह है कि वर्तमान में 28 कोविड मरीज भर्ती हैं। इसमें से कुछ मरीजों की स्थिति गंभीर है। इसको देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने मनपा को पत्र लिखकर मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने का आग्रह किया है। उधर, नर्स के परिजनों ने युवा सेना के कार्यकर्ताओं, पांचपावली पुलिस स्टेशन और मनपा के अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी से शिकायत की है।
यह है मामला : जानकारी के अनुसार, नर्स की मौत होने पर परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन को घेरा है। आरोप है कि पीपीई किट धो कर पहनने को देते थे। तय समय से अधिक ड्यूटी कराई जाती थी। अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर है। उधर, अस्पताल संचालक डॉ. संजय चंदनखेड़े ने कहा- नर्स की कोरोना जांच 31 जुलाई और 3 अगस्त को हुई थी। रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इसी दौरान अस्पताल के कर्मचारी ही पॉजिटिव हो गए। इस कारण अस्पताल 31 जुलाई से 10 अगस्त तक बंद रहा। अस्पताल शुरू हुआ तो उस नर्स में कोरोना के लक्षण दिखे। 20 अगस्त को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उसमें हल्के लक्षण थे। इसलिए उसे मेयो अस्पताल से घर भेज दिया गया। 23-24 अगस्त को स्वास्थ्य बिगड़ने पर भर्ती किया गया।
इधर, 28 अगस्त को समर्पण को कोविड हॉस्पिटल की अनुमति मिल गई। 31 अगस्त को हमने अपने अस्पताल लाने को कहा। 1 सितंबर को उसका स्वास्थ्य सही था। 2 सितंबर को अस्पताल लाने की तैयारी हुई, लेकिन उसकी हालत बिगड़ गई। इसलिए उसे मेयो में ही वेंटिलेटर पर रखा गया। इस वजह से उसे समर्पण हॉस्पिटल में शिफ्ट नहीं कर सके। गुरुवार को नर्सिंग स्टाफ छुट्टी पर चला गया। मेरे अस्पताल में पहले 30 कोरोना मरीज भर्ती थे। अब 28 हैं। स्टाफ को अपनी मांग और समस्या से मुझे अवगत कराना चाहिए था। वह अस्पताल के बाहर खड़े होकर बोलते हैं- हमें न्याय चाहिए। हमने मनपा के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर गंभीर मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने का आग्रह किया है।