नागपुर समाचार : पूर्व आयुक्त तुकाराम मुंढे की अड़ियल रवैय्ये से मनपा का बजट 6 माह टल गया। संभवतः सितंबर के तीसरे सप्ताह में स्थाई समिति सभापति पिंटू झलके बजट पेश करेंगे। यह बजट अगले 6 माह में अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों को ध्यान केंद्रित करता,पेश किया जाएगा।इस संदर्भ में आयुक्त राधाकृष्णन से वादा किया गया।
सभापति झलके का बजट वैसे तैयार हो चुका हैं, जिसे अंतिम निरीक्षण के लिए अबतक 1 दर्जन से अधिक मनपा बजट को तैयार करने वाले प्रफ्फुल फरकासे को जल्द भेजा जाएगा। उनके सूक्ष्म निरीक्षण बाद अंतिम रूप अर्थात बजट पेश करने की तिथि सह बजट पुस्तिका छापने के लिए दी जाएंगी।
आयुक्त से झलके की इस संदर्भ में जो चर्चा हुई,उसके अनुसार इस 6 माही बजट में पिछले आर्थिक वर्ष के रोके गए काम अर्थात जिनका टेंडर हो गया या जिनका वर्क आर्डर हो गया,उसे पूरा करने के लिए निधि का विशेष रूप से प्रावधान किया जाएगा। जिसे 6 पहले पूर्व आयुक्त मुंढे ने अचानक आर्थिक तंगी का वास्ता देकर रोक दिया था। इसके साथ ही इस बजट में महत्वपूर्ण छोटे-छोटे मरम्मत,निर्माण कार्यों को तहरिज दी जाएंगी। यह भी साफ किया गया कि कोई नया ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ नहीं लढ़ा जाएंगा।
बजट में कर्मचारियों के 7 वें वेतन आयोग के सिफारिश अनुसार वेतन देने संबंधी अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इस विषय की बेसब्री से मनपा के हज़ारों कर्मी राह तक रहे,कई सैकड़े कर्मी तो 7 वां वेतन आयोग के सिफारिश लागू होते ही वीआरएस लेने के लिए तैयार खड़े हैं। वैसे भी प्रत्येक माह 2 से 3 दर्जन कर्मी सेवानिवृत्त हो ही रहे हैं।
बजट की रूपरेखा मनपा की वर्तमान आय स्त्रोत पर ज्यादा निर्भर होंगा। अर्थात सरकारी अनुदान हर माह कितना मिल रहा। मनपा का आय स्त्रोत संपत्ति और जल कर हैं, सत्तापक्ष द्वारा ही कोरोना काल में इसे न लेने की मांग मुंढे के कार्यकाल में उठ चुकी हैं। वैसे भी पिछले आर्थिक वर्ष तक संपत्ति व जल कर का बकाया 350 करोड़ के आसपास था जो इस वर्ष काफी बढ़ जाएगा। मनपा के खुद के आय स्त्रोत नगर रचना विभाग,बाजार विभाग,विज्ञापन विभाग की उन्नति पर किसी का विशेष ध्यान नहीं,इन विभागों पर गंभीरता से गौर किया गया तो अतिरिक्त आय 100 करोड़ के आसपास बढ़ सकती हैं।जिसे कई दशकों से सिरे से नज़रअंदाज किया जा रहा। मनपा पर ठेकेदारों के लगभग कुल 250 करोड़ बकाया हैं, जिन्हें पिछले अगस्त 2019 से भुगतान नहीं किया गया। इन्हें बकाया देने के लिए इस बजट में विशेष प्रावधान करना होंगा,अन्यथा प्रस्तावित काम फिर चाहे टेंडर हो गए हो या फिर वर्क आर्डर हो गए हो,सभी रुके ही रह जाएंगे।इनमें से कुछ ठेकेदारों को बकाया पैसों की चिंता नहीं ऐसी सूरत में वे काम हथियाने में भिड़ते देखे गए।कारण इन जुगाड़ू ठेकेदारों के कामकाजों की जांच नहीं होती। अबतक जितने भी स्थाई समिति सभापति हुए लगभग सभी के प्रस्तुत बजट अधूरे रहे,फिर चाहे उनके ‘ड्रीम प्रोजेक्ट्स’ ही क्यों न हो।
वर्तमान में स्थाई समिति सभापति झलके के पास दोहरी जिम्मेदारी हैं, स्थाई समिति के साथ जलप्रदाय समिति।जलप्रदाय समिति का प्रभार से जल्द मुक्त होने की जानकारी प्राप्त हुई हैं, अब यह भी रोचक होंगा कि इस महत्वपूर्ण समिति का सभापति किसे नियुक्त किया जाता हैं, झलके के कार्यकाल में ऐतिहासिक जल के उतार- चढ़ाव देखने को मिले।पिछले वर्ष बून्द-बून्द के लिए मोहताज हो चुकी थी तो इस दफे गर्दन तक पानी का अनुभव भी सभी ने लिया।