■ किशोरों में हीमोग्लोबिन कमी
नागपुर समाचार : रक्त संबंधी आनुवंशिक रोग जैसे सिकल सेल, थैलेसीमिया और हीमोफीलिया का औसत 5 से 10 प्रश है. इनमें से अधिकांश बच्चे सिकल सेल से पीड़ित हैं. बच्चों का समग्र विकास और स्वास्थ्य रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर पर भी निर्भर करता है. यह देखा गया है कि 55 से 60 प्रतिशत किशोरों में हीमोग्लोबिन का स्तर 10 ग्राम से कम है. यह जानकरी भारतीय बालरोग अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वसंत खड़तकर ने दी. बच्चों में एनीमिया की व्यापकता को करने तथा जानकारारीरिक और मानसिक विकास में योगदान देने के लिए आईएपी ने ‘बाय-बाय एनीमिया’ पायलट प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया है. हैदराबाद से शुरू किए गए अभियान के तहत बच्चों में हीमोग्लोबिन के स्तर को मापने के लिए एक स्क्रीनिंग बस पूरे देश में भ्रमण करेगी. इसके तहत नागपुर पहुंची इस बस ने अब तक 700 स्कूली बच्चों की प्रारंभिक जांच की है. 55 से 60 प्रतिशत बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर 10 ग्राम से भी कम पाया गया.
खडतकर ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार 25 प्रतिशत आबादी एनीमिया से जूझ रह रही है. ग्रामीण आबादी में 18 प्रतिशत से अधिक बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं. शहरी बच्चों में अस्थमा की व्यापकता एनीमिया की तुलना में अधिक है. ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण और शहरों में प्रदूषण इन बीमारियों का कारण हैं. उचित आहार के माध्यम से 80 प्रतिशत एनीमिया नियंत्रित किया जा सकता है.
68 प्रश ग्रामीण बच्चे पोषण संबंधी कमियों से पीड़ित
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश गावंडे ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 6 महीने से 5 वर्ष की आयु वर्ग के 68 प्रतिशत से अधिक बच्चों को उचित आयु में पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है. इससे उनमें कुपोषण बढ़ता है. शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात 64 प्रतिशत है. लड़कों की तुलना में लड़कियों में हीमोग्लोबिन का स्तर चिंता का विषय है. खराब आहार के कारण एनीमिया और कुपोषण से पीड़ित इन बच्चों में बढ़ती एनीमिया एक चेतावनी संकेत है. पत्र परिषद में डॉ. संजय पाखमोडे, डॉ. शिल्पा हजारे, डॉ. कैलास वैद्य, डॉ. विंकू रूघवानी आदि उपस्थित थे.
गडकरी ने दिखाई बस को हरी झंडी
स्क्रीनिंग बस यात्रा की शुरुआत 16 जनवरी को हुई और 26 जनवरी तक प्रमुख शहरों और कस्बों को कवर करते हुए पूरे महाराष्ट्र में अपनी यात्रा करेगी. नागपुर पहुंचने के बाद क्षेत्र में स्क्रीनिंग से पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हरी झंडी दिखाई. यह बस यात्रा सुनिश्चित करेगी कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बच्चों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुधार के लिए मुफ्त स्वास्थ्य जांच, जागरूकता सत्र और उपकरणों से लाभ मिले.