नागपुर : नागपुर विभाग स्नातक निर्वाचन क्षेत्र चुनाव में कांग्रेस के अभिजीत वंजारी ने महाविकास आघाड़ी के उममीदवार के रूप में भाजपा के संदीप जोशी को 19,910 वोटो से पराजित कर भाजपा की दशकों से कब्जे में रही सीट छीन ली. अब भाजपा के उम्मीदवार व महापौदर संदीप जोशी के हार को लेकर कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है.
महापौर जोशी हार के बाद तुकाराम मुंढे की यदि याद नहीं किया गया तो आश्चर्यजनक होगा. ऐसी प्रतिक्रिया कुछ राजनीतिक व आम जनता की ओर से मिल रही है.परिणाम के दिन भी तुकाराम मुंढे को याद करना ही उनके कार्य की रसीद है. ऐसा कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है.
महाविकास आघाडी सरकार की स्थापना होने के बाद तुकाराम मुंढे आयुक्त के रूप में फरवरी 2020 में आए और 26 अगस्त को उनका ट्रांसफर हो गया. सिर्फ 6 महीने ही वह यहां कर सके. राज्य में महाविकास आघाड़ी और केंद्र में भाजपा की ऐसी स्थिति होने से पहले ही दिन से ही आयुक्त और महापौर में अनबन शुरू हो गयी.
उनके खिलाफ सदर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया. स्मार्ट सिटी के मुद्दे उठाकर तुकाराम मंढे को घेरने का पूरा प्रयास किया गया था. तुकाराम मुंढे प्रकरण से झटका लगा. जिससे लगता है कि ईमानदार व्यक्ति को जानबूझकर परेशान करने पर ऐसा ही होता है. ऐसी प्रतिक्रिया देकर युवा समा मीडिया पर व्यक्त करते देखे जा रहे हैं. तुकाराम मुंढे की कार्यप्रणाली से नागपुर के साथ ही राज्यभर के युवा प्रभावित हुए है.
यह नजारा नागपुर से ट्रांसफर होने के मौके पर उनके सरकारी निवास तपस्या के सामने हजारों युवाओं की लगी भीड़ ने दिखा दिया था. तुकाराम मुंढे को परेशान करने का एक भी मौका सत्ताधारियों ने नहीं छोड़ा. सभा में मुंढे को परेशानी में डालने के लिए सत्ताधारी गुट से प्रत्येक सदस्य तैयार ही रहते थे. इतना ही नहीं कोरोना के दौरान कविर्व सुरेश भट सभागृह में सभा से मुंढे को सभा का बहिष्कार करना पड़ा था.