नागपुर : विदर्भ के 13 लाख व्यापारियों की अग्रणी व शीर्ष संस्था नाग विदर्भ चेंबर आॅफ काॅमर्स के अध्यक्ष श्री अश्विन मेहाड़िया के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने देश में अनेक बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों, जिनमें विशेष रूप से विदेशी अथवा विदेशी निवेश से पोषित ई कामर्स कंपनियों द्वारा भारत के ई कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार में लगातार एफडीआई पालिसी एवं विभिन्न कानूनों का खुला उल्लंघन करते हुए ई कॉमर्स एवं देश के रिटेल व्यापार को अपने कुटिल चंगुल में फंसा इस व्यापार को खत्म करने की साजिश के खिलाफ नागपुर के माननीय उपजिल्हाधिकारी श्री रविन्द्रजी खजांची को प्रतिवेदन दिया।
चेंबर के प्रतिवेदन द्वारा भारत सरकार से मांग की है कि भारत के ई कॉमर्स व्यापार के सुनियोजित संचालन के लिए एक ई कॉमर्स पालिसी तुरंत घोषित की जाए जिसमें एक मजबूत एवं अधिकार संपन्न ई कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठंन भी किया जाए तथा साथ ही एफडीआई पालिसी के प्रेस नोट 2 की विसंगतियों और लचीले प्रावधानों को समाप्त करते हुए सरकार एक नया प्रेस नोट जारी करे।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के “लोकल पर वोकल” एवं “आत्मनिर्भर भारत” को जमीनी स्तर पर अपनाने एवं उसको किर्यान्वित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर एवं देश के सभी राज्यों में जिला स्तर पर एक “संयुक्त क्रियान्वयन कमेटी” का गठन किया जाए जिसमें व्यापारियों एवं अधिकारियों को शामिल किया जाए। यदि सरकार द्वारा यह कदम उठाया जाता है तो निश्चित रूप से “लोकल पर वोकल” एवं “आत्मनिर्भर भारत” जैसे कार्यक्रमों के द्वारा भारत के घरेलू व्यापार को बेहद मजबूत किया जा सकता है वहीँ भारत के निर्यात व्यापार को भी बड़े तरीके से बढ़ाया जा सकता है जिससे वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी तेजी के साथ बढ़ेगी।
चेंबर के अध्यक्ष श्री अश्विन मेहाड़िया ने कहा कि वर्तमान में देश का ई कॉमर्स व्यापार एवं रिटेल व्यापार चारों तरफ से बड़ी विदेशी कंपनियों ने या विदेशी निवेश वाली कंपनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है जिससे देश के छोटे व्यापारियों को व्यापार का नुक्सान हो रहा है। यह सभी कंपनियां सरकार की एफडीआई पालिसी के प्रावधानों और अनेक कानूनों का सीधा उल्लंघन कर रही हैं और लगातार इनके खिलाफ शिकायत करने के बाद भी इन पर अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाई नहीं हुई है जिससे इन कंपनियों के हौंसले और अधिक बुलंद हो गए हैं और ये खुले रूप से कानूनों का उल्लंघन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
चेंबर के सचिव रामअवतार तोतला ने कहा कि कोरोना लॉक डाउन से पहले ई कॉमर्स कंपनियों का व्यापार भारत में केवल 7 प्रतिशत था जो अब कोरोना के बाद जब बाजार खुले हैं तो 24 प्रतिशत हो गया है जिसकी मुख्य वजह इन कंपनियों द्वारा कानून का उल्लंघन कर लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचने जैसे अनेक अवैध व्यापारिक गतिविधियां शामिल हैं। देश का रिटेल व्यापार वर्तमान में लगभग 950 बिलियन डॉलर वार्षिक का है जबकि रिटेल व्यापार में लगभग 45 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है और देश में कुल खपत में रिटेल बाजार का हिस्सा 40 प्रतिशत है। इतने बड़े और विशाल भारतीय रिटेल बाजार पर कब्जा जमाने के लिए विश्व भर की कंपनियों की नजर है और इसी छिपे उद्देश्य को लेकर ई कॉमर्स कंपनियां भारत में हर तरह का अनैतिक व्यापार करते है।
अतः सरकार ने देश के खुदरा व्यापारियों को बचाने तथा माननीय प्रधानमंत्री जी के “लोकल पर वोकल” एवं “आत्मनिर्भर भारत” के कार्यक्रमों को सुदृढ़ बनाने के आवश्यक कठोर कदम उठाने चाहिये।
इस अवसर पर चेंबर के सर्वश्री (अध्यक्ष) अश्विन मेहाड़िया, (उपाध्यक्ष) संजय के. अग्रवाल, (सचिव) रामवतार तोतला, (सहसचिव) स्वप्निल अहिरकर व नितीन कुकरेजा उपस्थित थे।