नागपुर : नागपुर मेट्रो महानगर विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) क्षेत्र में वर्षों से स्थापित उद्योगों को तंग न किया जाए. तब के नियम के अनुसार इन उद्योगों का निर्माण कार्य किया गया था, लेकिन नई नीति आने के बाद इन्हें तरह-तरह से बदलाव करने को कहा जा रहा है जो तर्कसंगत नहीं है. ऐसा नहीं होने पर इन्हें नोटिस दी जा रही है और तोड़ने की धमकी तक दी जा रही है, जो सरासर गलत है. कैमिट का दल इस मुद्दे पर एनआईटी के ट्रस्टी विकास ठाकरे से मिला और उन्हें इस समस्या से अवगत कराया गया.
कैमिट के अध्यक्ष दीपेन अग्रवाल ने कहा कि बड़ी मेहनत के बाद लोगों ने छोटे-छोटे उद्योग स्थापित किए थे और इनसे हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है. शहर के चारों ओर ऐसे उद्योग देखे जा सकते हैं. अब एनएमआरडीए इन्हें अवैध बता रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि तब के कानून के अनुसार इन उद्योगों को लगाया गया था, अगर डीसीआर बनने और उसे लागू होने में विलंब होता है तो इतने दिनों तक भला लोग कैसे रुक सकते हैं. विकास कार्य को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है.
प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि आरंभ में मनपा सीमा के 5 किलो मीटर दायरे न को मेट्रोपॉलिटीन क्षेत्र में लाने की योजना थी. बाद में इसे 10 और अब 125 किलोमीटर कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि 2010 में ही नया डीसीआर लागू होना था जिसे 2018 में लागू किया गया. ऐसे में एमएसएमई 2018 के डीसीआर के हिसाब से निर्माण कैसे करती. अधिकारियों की उदासीनता के कारण इसमें 8 वर्षों का विलंब हुआ है.
अशोक आहूजा ने कहा कि एक सर्वे के अनुसार 13 फीसदी इकाई 1999 के पूर्व, 46 फीसदी इकाई 2000-2012 के बीच लगी हैं. 26 फीसदी इकाई 2013-15 के बीच लगाई गई हैं. ऐसे में उनसे नये कानून को लागू करने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है. जबकि नया प्लान 2012-32 के लिए है.
फिर भी नहीं मान रहे अधिकारी
दिलीप ठकराल ने कहा कि तब एन.ए. और बिल्डिंग प्लान का जो नियम था उससे सभी ने अनुमति ली है. ये सारे सरकारी कार्यालय ही हैं, तब यही अधिकृत भी थे. ऐसे में उद्यमियों और व्यापारियों की गलती क्या है. इतना ही नहीं इसकी मंजूरी के आधार पर बिक्री कर विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, फैक्ट्री इंस्पेक्टर, जिला उद्योग केंद्र, बैंक एवं वित्तीय संस्थाओं ने भी अपनी-अपनी मान्यता दी है. अब एनएमआरडीए के अधिकारी इन्हें नहीं मान रहे हैं. नटवर पटेल गिरीश लीलाधर, संजय अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे.
ठाकरे ने कहा कि इस मुद्दे पर वे मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे. इसे विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के समक्ष भी रखा जाएगा ताकि सभी के साथ न्याय हो सके.