नागपुर। लाइफलाइन ब्लड बैंक, नागपुर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. हरीश वरभे इन्होने डॉ विराज वरभे के जन्मदिन के अवसर पर अपने बेटे के साथ दूसरी बार प्लाज्मा दान किया और स्वयं कृति से मध्य भारत में प्लाज्मा दान अभियान को गति देने का जोरदार प्रयास किया।
सरकार और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद हमारे देश में इस समय कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कई मरीजों की मौत हो रही है। हालांकि, आरबीडी प्लाज्मा के वैज्ञानिक उपयोग से कई कोव्हीड मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
प्लाज्मा थेरेपी को लेकर मीडिया में कई परस्पर विरोधी और विवादास्पद खबरें आई हैं। लेकिन नकारात्मक रिपोर्ट मुख्य रूप से पुरानी, पारंपरिक ब्लाइंड प्लाज्मा थेरेपी के सम्बन्ध में हैं जिसमें रोगी को राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार, कोरोना वायरस को मरनेवाली सुरक्षात्मक आर. बी. डी. एंटीबॉडी के परीक्षण के बिना प्लाज्मा दिया गया था।
लेकिन अब कोरोना वायरस और कोव्हीड़ के बारे में काफी वैज्ञानिक जानकारी के साथ प्लाज्मा थेरेपी उन्नत, अग्रेसर और मानकीकृत हुयी है। और वर्तमान में कोव्हीड – १९ रोगियों के जीवन को बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी के वैज्ञानिक उपयोग के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश आए हैं।
दुनिया भर में कई वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि उच्च आरबीडी एंटीबॉडी वाले प्लाज्मा बैग कोव्हीड बीमारी के पहले ७ से १० दिनों के दौरान (जब मरीज के शरीर मे कोरोना वायरस काफी अधिक मात्रामे होते है) या अस्पताल में भर्ती होने के बाद पहले २ से ३ दिनों के दौरान पर्याप्त मात्रा में देने से कोरोना वायरस तुरंत मर जाते है और मरीज जल्दी ठीक हो सकता है। इससे रोग की गंभीरता और मृत्यु दर में कमी आती है।
लाइफलाइन ब्लड बैंक ने राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार कोव्हीड – १९ रोगियों को प्लाज्मा थेरेपी प्रदान करने के लिए अगस्त २०२० मैं भारत के पहली आर. बी. डी. – प्लाज्मा बैंक की शुरुवात की थी। मार्च २०२१ के महीने में डॉ. वरभे इनका पूरा परिवार कोव्हीड से संक्रमित हो गया। संक्रमण के सातवें दिन डॉ. श्रीमती वनश्री वरभे इनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और चिंताजनक हो गईं।
उन्हें तुरंत अस्पताल ले भरती किया गया। सातवें और आठवें दिन उन्हें १२ घंटे के अंतराल में आर. बी. डी. – प्लाज्मा दिया गया, लेकिन कोई भी दवा जैसे रेमेडिसविर, फ्लेविपिरवीर, स्टेरॉयड या टोसीलिजुमैब नहीं दी गयी। और केवल आर. बी. डी. – प्लाज्मा ने उसकी जान बचाई और वह ९ वे दिन घर लौट आए। इसी तरह आर. बी. डी. – प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कई कोव्हीड मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
हालाँकि, वर्तमान में प्लाज्मा की भारी कमी है क्योंकि समाज में प्लाज्मा दान के बारे में कई भ्रांतियाँ हैं। इस पर अंकुश लगाने और लोगों में विश्वास जगाने के लिए डॉ. हरीश वरभे ने अपने बेटे डॉ. विराज के साथ बेटे के जन्मदिन पर दूसरी बार प्लाज्मा डोनेट किया और सभी कोव्हीड से ठीक हुए कोरोना विजेताओं से प्लाज्मा डोनेशन के लिए आगे आने की अपील की। प्लाज्मा डोनेशन पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है। तो आइए, इस कठिन समय में, हम सभी मिलकर आर. बी. डी. – प्लाज्मा रूपी संजीवनी का इस्तेमाल करके कई कोव्हीड मरीजों की जान बचाये और कोरोना के खिलाफ युद्ध जीते।