अस्तित्व फाऊंडेशन ने मनाई भगवान बिरसा मुंडा जयंती
नागपुर समाचार : आदिवासीयो के महानायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती अस्तित्व फाऊंडेशन द्वारा संस्था अध्यक्ष प्रकाश हेडाऊ के मार्गदर्शन मे राणी दुर्गावती चौक परिसर में भगवान बिरसा मुंडा को माल्यार्पण कर जयंती मनाई गयी।
आज उनकी जयंती के उपलक्ष मे उनके बलीदान और कार्यो को याद किया गया। इस अवसर पर सचिव विशाल बोकडे, उपाध्यक्ष प्रमोद हेडाऊ, गणेश धकाते, संजय हेडाऊ, गणेश हेडाऊ, जयदेव हेडाऊ, हेमराज हेडाऊ, एवं परीसर के रहीवासी आदी मान्यवरो की उपस्थिती रही।
बिरसा मुंडा का जन्म रांची जिल्हे के उलुहतू गांव मे १५ नवंबर को हुआ, उनका परिवार रोजगार की तलाश में उनके जन्म के बाद उलिहतु से कुरुमब्दा आकर बस गया जहा वो खेतो में काम करके अपना जीवन चलाते थे। उसके बाद फिर काम की तलाश में उनका परिवार बम्बा चला गया। बिरसा मुंडा का परिवार घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करता था।
बिरसा मुंडा ने किसानों का शोषण करने वाले ज़मींदारों के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा भी लोगों को दी। यह देखकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें लोगों की भीड़ जमा करने से रोका। बिरसा का कहना था कि मैं तो अपनी जाति को अपना धर्म सिखा रहा हूँ। इस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार करने का प्रयत्न किया, लेकिन गांव वालों ने उन्हें छुड़ा लिया। शीघ्र ही वे फिर गिरफ़्तार करके दो वर्ष के लिए हज़ारीबाग़ जेल में डाल दिये गये। बाद में उन्हें इस चेतावनी के साथ छोड़ा गया कि वे कोई प्रचार नहीं करेंगे। लेकिन फिर भी अपनी क्रांती की ज्वाला जलाये रखी, अंग्रेजो द्वारा आदिवासीयोकी खेती छिनना, उसपर कब्जा करना, धर्म परीवर्तन, गुलामी इन सब के खिलाफ जंग छेडदी, अंग्रेजो के अनाचार के प्रति क्रोध की ज्वाला भडक उठी थी।
अब वो अपने विद्रोह में इतने उग्र हो गये थे कि आदिवासी जनता उनको भगवान मानने लगी थी और आज भी आदिवासी जनता बिरसा को भगवान बिरसा मुंडा के नाम से पूजती है। उन्होंने धर्म परिवर्तन का विरोध किया और अपने आदिवासी लोगो को हिन्दू धर्म के सिद्धांतो को समझाया था। उन्होंने गाय की पूजा करने और गौ-हत्या का विरोध करने की लोगो को सलाह दी। अब उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ नारा दिया ‘रानी का शाषन खत्म करो और हमारा साम्राज्य स्थापित करो’ उनके इस नारे को आज भी भारत के आदिवासी इलाको में याद किया जाता है।