नागपुर समाचार : चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के इस दिन से हिन्दू नववर्ष का आरंभ होता है, इस दिन को गुढी पाड़वा भी कहते हैं।
आज सुबह किन्नर विकास बहुद्देशीय सामाजिक संस्था की अध्यक्ष एवं किन्नर विकास महामंडल, महाराष्ट्र राज्य की सदस्य रानी ढवले ने गुढी की स्थापना कर पूरे विधि विधान से गुढी पाडवा का त्योहार मनाया।
गुढी का अर्थ है विजय पताका। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर भी शुरु होता है। अत: इस तिथि को ‘नवसंवत्सर’ भी कहते हैं। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी होता है।
चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएं फलते -फूलते हैं। शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। जीवन का मुख्य आधार वनस्पतियों को सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है। इसे औषधियों और वनस्पतियों का राजा कहा गया है। इसीलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है।
कई लोगों से ऐसी जानकारी भी मिलती है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने अपने अपने घरों पर उत्सव मनाकर ध्वज (गुढी) फहराए थे, तब से आज तक घरो के आंगन में गुढी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है।
इसीलिए इस दिन को गुढी पाड़वा नाम दिया गया। महाराष्ट्र में गुढी पाड़वा के अवसर पर दही से बना हुआ श्रीखंड, पूरण पोली या मीठी रोटी भी बनाते है।