न्यूज डेस्क, नागपुर बाज़ार पत्रिका, नागपुर
Published by: ज्योती द्विवेदी Updated Thu, 14 Jun 2022
नागपुर:- ज्येष्ठ माह की कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। महिलाएं ये व्रत पति की दीर्घायु, अखंड सौभाग्य व परिवार की उन्नति के लिए रखती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करना श्रेयस्कर माना जाता है। नागपुर शहर में कई मंदिरों में इस बार महिलाएं हर्षोल्लास के साथ वट सावित्री व्रत कर बरगद की पूजा करती नजर आई।

सेमिनरी हिल्स स्थित जटाशंकर मंदिर मंदिर में स्थानीय महिलाओं ने NBP- NEWS 24 के संवाददाता को व्रत की जानकारी और महत्वपूर्ण बातें बताई। उन्होंने बताया कि महिलाओं को सुबह स्नान कर बांस की टोकरी में सप्त धान्य रखकर ब्रह्मा व सावित्री की मूर्ति की स्थापना तथा दूसरी टोकरी में सत्यवान व सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करनी चाहिए। फिर यह टोकरियां वट वृक्ष के नीचे रखकर वृक्ष की जड़ में जल देते हुए सावित्री व सत्यवान की पूजा की जाती है।
पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भीगा चना, फूल व धूप चढ़ाया जाता है। वटवृक्ष के तने पर न्यूनतम सात बार परिक्रमा कर कच्चा सूत लपेटने से पूजा का संपूर्ण फल मिलता है।
इस व्रत के समय महिलाएं सत्यवान और सावित्री के अटूट संबंध की कथा सुनती और सुनाती हैं। इस बार कोरोना संक्रमण कम होने के कारण कई जगहों पर पहले की तरह भीड़ दिखाई दी और महिलाओं ने उत्साह के साथ पूजा अर्चना की।
इस बार अमावस्या तिथि को रोहिणी नक्षत्र, गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, सूर्य एवं चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर करेंगे। अत: यह व्रत फलदायी होगा। पूजा का समय प्रात: काल से मध्याह्न 12:15 बजे तक है। हिंदू शास्त्रों में वट वृक्ष को देव वृक्ष माना जाता है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास माना गया है। मान्यता के अनुसार, देवी सावित्री ने अपने पति को इसी वृक्ष के नीचे पुन: जीवित किया था। तभी से इस दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है
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