राहीबाई ने अपने जीवन संघर्ष का जिक्र किया
नागपुर समाचार : इंसान के तौर तरीके बदलने से प्रकृति में बदलाव हो रहा है। जिससे प्राकृतिक आपदाओं के चलते फसल बर्बाद हो रही है। और यही किसान आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण है. लिहाजा इसे रोकने के लिए हमें पुराने तरीके को अपनाना होगा। 108 वे इंडियन साइंस कांग्रेस में महिला कांग्रेस कार्यक्रम में बोलते हुए बीज माता के नाम से मशहूर पद्मश्री राहीबाई पोपेरे ने यह बात कही।
108 वे इंडियन साइंस कांग्रेस के तीसरे दिन महिला साइंस कांग्रेस का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में बीज माता के नाम से मशहूर पद्मश्री राहीबाई पोपेरे मौजूद थी। साथ ही नितिन गडकरी की पत्नी कांचन गड़करी, नीता मेंदीरत्ता, डॉ कल्पना पांडे और कुलगुरु डॉ सुभास चौधरी उपस्तिथ थे।
पुराने तरीकों पर लौटना ही होगा
इस मौके पर बोलते हुए राहीबाई ने अपने जीवन संघर्ष का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने किसान आत्महत्या को रोकने की बात भी कही। राहीबाई ने कहा अगर किसान आत्महत्या को रोकना है तो हमें पुराने तौर तरीके अपनाने होंगे। उन्होंने कहा जब तक हर किसी की थाली का खाना जहर मुक्त, और किसान बीमारी मुक्त नहीं होता तब तक वह अपना काम निरंतर करती रहेगी।
नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित
राहीबाई पोपेरे अहमदनगर जिले के अकोले तहसील के कोंभलाने गांव की एक महिला किसान और पारंपरिक बीज किस्मों की संरक्षक हैं। स्वदेशी किस्मों के बीजों को बचाने के लिए राहीबाई को भारत सरकार द्वारा 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके पहले 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी है।