जरूरत पड़ने पर वीरांगणा लक्ष्मीबाई बने और जरूरत पड़ने पर माता पार्वती का रूप बने
नागपुर समाचार : रेशमबाग मैदान पर आयोजित रामकथा में देश-विदेश से जनसागर उमड़ रहा है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में चौथे दिवस की रामकथा में भगवान महादेव की बारात का विस्तृत वर्णन करते हुए कहा कि शंकरजी के हाथ में जो त्रिशूलहै वह हमें बचाता है, कानों में कुंडल, गले में सांप, तन पर भभूत लगाए शंकर जी बैल पर उल्टे बैठकर दूल्हे बनकर निकले। बैल वैसे धर्म का प्रतीक है। उल्टे इसलिए बैठे क्योंकि बारात में भगवान विष्णु को पीठ दिखाना नहीं चाहते थे।
बागेश्वर सरकार ने कहा कि शंकरजी धन्य हैं। संसार में बंधने जा रहे थे पर भगवान विष्णु से गठबंधन नहीं तोड़ रहे। मुख परमात्मा की तरफ करके बैठे शंकरजी। अनेक घटनाक्रम के बाद भगवान शंकरजी बारात माता पार्वती के दरवाजे पंहुची परंतु शंकरजी के साथ चार ही बराती थे क्योंकि भगवान शंकर का दूल्हा बना रूप देख अनेक देवता पहले ही चले गए थे। बरात के आते ही मां पार्वतीजी की मां पार्वती को ससुराल जाने के पहले ससुराल लड़की वालों से नहीं करना चाहिए क्योंकि जो पिता अपने कलेजे का टुकड़ा कन्या दान में देता है उससे बड़ा इस दुनिया में दान हो सकता है इसलिए तो बेटियां श्राप नहीं वरदान हैं। बेटियां तो दो कुलों को संभालती।
माता-पिता से विनती करते हुए गुरुदेव ने कहा कि बेटियों को रामायण जरूर पढ़ाना। उन्हें सर्वगुण संपन्न बनाना। जरूरत पड़ने पर वीरांगणा लक्ष्मीबाई बने और जरूरत पड़ने पर माता पार्वती का रूप बने। उसे अच्छी शिक्षा जरूर देना क्योंकि बिटिया भारत की संपत्ति है। भारत की नारियों का परचम पूरे विश्व में फहराता है। भारत ही एक ऐसा देश है जहां नारी को पूजा जाता है। इसके पूर्व सुबह नौ बजे से १२ बजे तक दिव्य दरबार में अनेक भक्तों की बालाजी हनुमानजी की कृपा से अर्जी स्वीकार हुई जिसका समाधान अर्जी लगने वालों ने माइक में खुद स्वीकार किया।
रामकथा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सांसद रामदास तडस, सांसद कृपाल तुमाने, विधायक नागो गाणार, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष संजय भेंडे, विदर्भ के संगठन मंत्री डॉ. उपेंद्र कोठेकर आदि ने उपस्थित होकर आशीर्वाद लिया।