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नागपुर समाचार : महानत्यागी बाबा जुमदेवजी मानवधर्म उगमस्थान संस्थान टिमकी नागपुर विद्यार्थी युवक समूह की ओर से ज्ञान ज्योति निवासी अंध विद्यार्थियों को भोजन दिया गया

महानत्यागी बाबा जुमदेवजी मानवधर्म उगमस्थान संस्थान टिमकी नागपुर विद्यार्थी युवक समूह की ओर से अंध विद्यार्थियों को भोजन दिया गया

नागपुर समाचार : महानत्यागी बाबा जुमदेवजी मानवधर्म उगमस्थान संस्थान टिमकी नागपुर विद्यार्थी युवक समूह के सदस्यों ने हिंगणा (वडधामना) के ज्ञान ज्योति निवासी अंध विद्यालय के विद्यार्थियों को अल्पाहार पश्चात भोजन कराया गया। इस दौरान विधार्थी द्वारा अंताक्षरी का कार्यक्रम रखा गया। जिसमें विधार्थीयों ने अपने आवाज के जरिए सभी का मन मोह लिया।

विद्यालयों में कार्य की शुरुआत सर्व प्रथम उन बच्चों को पहचानने की प्रक्रिया से की जाती हैं। जो आने वाले समय में विद्यालय छोड़ कर जा सकते हैं। जिससे समय रहते ऐसे बच्चो पर ध्यान दिया जा सके। चेतना सत्र को प्रभावशाली बनाने से लेकर बाल संसद का सशक्तिकरण एवं आखिरी घंटी को रोचक बनाने का कार्य किया गया। इन कार्यों के माध्यम से बच्चों के लिए विद्यालय में एक बेहतर माहौल का निर्माण हुआ और उनका विद्यालय से जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सका।

तुलसीराम परशुरामकर सर : अगर मैं सिर्फ अपनी बात करूँ तो मुझे लगता हैं कि सरकारी विद्यालय बदलाव की असीम संभावनाओ का दूसरा नाम हैं। वहाँ काम करने और बच्चों व अभिभावकों का अपनापन पाने का जितना अवसर हैं उतना दूसरे किसी क्षेत्र में नहीं हैं। वहाँ छोटे-छोटे गाँव और कस्बों के बच्चों के सपने पल रहे होते हैं। जिनको वाकई मदद और मार्गदर्शन की जरूरत हैं। सतत प्रोत्साहन और प्रेरणा की जरूरत हैं ताकि समय से पहले ही उनके सपनों के फूल मुरझाने की बजाय फिर खिल सकें। वे जीवंत, सक्रिय और जीवन की चुनौतियों को एक अवसर के रूप में स्वीकार करने के लिए प्रतिबद्धता के भाव से भर उठें।

इस अवसर पर रमेशजी ठुंब्रिकर, विठा ताई ठुंब्रिकर, सुमीत भाऊ ठुंब्रिकर, स्वप्निल ठुंब्रिकर भाऊ, उत्कर्षा ताई ठुंब्रिकर, सुनिता ताई वंजारी, वासुदेव पोटभरे (पत्रकार), राहुल ठुंब्रिकर, विक्की डोईफोड, नरेंद्र वंजारी, महेंद्र हेड़ाऊ, रवि पौणिकर, सुधांशु वैघ, रवि निनावे, श्रद्धा पोटभरे, गुड्डी वंजारी, सुजाता हेड़ाऊ आदि प्रमुखता से मौजूद रहे।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में ज्ञान ज्योति अंध विघालय तुलसीराम परशुरामाय, आनंद उत्तरमारे, निरजा खोखले, निशा प्रताप, शैलेन्द्र खोबरागड़े, सुनीता पुरी इनका योगदान रहा।

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