- नागपुर समाचार

नई दिल्ली समाचार : गुस्साए भारतीय सैनिक ने 18 चीनी सैनिकों की तोड़ दीं गर्दनें

  • बिहार रेजीमेंट के जवानों ने मोर्चा संभाला, उसके बाद चीनी सैनिक भाग खड़े हुए
  • चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सेना की 5 गुना अधिक थी, फिर भी डटे रहे भारतीय सैनिक
  • चीनी सैनिकों को पीटते-पीटते भारतीय सैनिक चीन के अधिकार क्षेत्र में काफी अंदर तक चले गए थे

नई दिल्ली समाचार : भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन उकसावे पर माकूल जवाब देने में कभी पीछे नहीं हटता है और न हटेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ इसी अंदाज में चीन का नाम लिए बिना स्पष्ट चेतावनी दी थी। कुछ यही रीति-नीति भारतीय सैनिकों की भी है। भारतीय सैनिक एक हद तक विरोधियों को बर्दाश्त करती है, लेकिन जब विरोधी जब हद पार कर देते हैं तो फिर उन्हें कैसे रौद्र रूप का सामना करना पड़ता है, यह कोई चीनियों से पूछे।

गुस्साए भारतीय सैनिक ने 18 चीनी सैनिकों की तोड़ दीं गर्दनें

गलवान में 15 जून को चीनी सैनिकों के धोखे से हिंसक हमले में अपने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू के शहीद होने के बाद बिहार रेजीमेंट के जवानों का वही रौद्र रूप सामने आ गया। द एशियन एज अखबार ने विभिन्न स्रोतों के हवाले से खबर दी है कि अपने सीओ की शहादत से गुस्साए भारतीय सैनिकों ने एक-एक कर 18 चीनी सैनिकों की गर्दनें तोड़ दीं। एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि कम-से-कम 18 चीनी सैनिकों के गर्दनों की हड्डियां टूट चुकी थीं और सर झूल रहे थे। अपने कमांडर की वीरगति प्राप्त होने से गुस्साए भारतीय सैनिक इतने आक्रोशित हो गए कि सामने आने वाले हर चीनी सैनिक का वो हाल किया कि उनकी पहचान कर पाना भी संभव नहीं रहा।

1 पर 5, फिर भी सिखाया न भूलने वाला सबक

दरअसल, उस रात बिहार रेजीमेंट के जवानों ने बहादुरी की कहानी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गई। उस रात चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सेना की तुलना में 4 गुना अधिक थी। इतना ही नहीं, चीनी सैनिक ने योजना बनाकर हमला किया था जबकि भारतीय सैनिकों ने ऐसी कोई तैयारी नहीं कर रखी थी क्योंकि उन्हें चीनियों के अचानक धोखे की अशंका नहीं थी। बावजूद इसके, हमारे बहादुर जवानों ने चीनी सेना को ऐसा सबक सिखाया कि उसकी सरकार इस खूनी झड़प पर कुछ बोल नहीं पा रही है।

वो रात गवाह है बिहार रेजीमेंट की बहादुरी की

द एशियन एज अखबार ने सैन्य सूत्रों के हवाले से बिहार रेजीमेंट की जवानों की शौर्यगाथा के बारे में बताया है। इस लड़ाई में बिहार रेजीमेंट के जवानों ने अपने भीतर की क्षमताओं का प्रयोग किया। भारत के जवानों को ऑर्डर मिले थे कि वह गलवान में बनाए गए चीनी सैनिकों द्वारा टेंट को हटाने की पुष्टि करें। इसी को देखते हुए कर्नल बी संतोष बाबू जवानों के साथ घटना स्‍थल पर पहुंचे। उन्‍होंने देखा कि चीनी सेना ने वहां से टेंट को नहीं हटाया तो उन्‍होंने इसका विरोध किया। इसी बीच बड़ी तादाद में वहां पर मौजूद चीनी सैनिक ने उनपर हमला कर दिया। जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी मोर्चा संभालते हुए उनको जवाब देना शुरू किया।

भारतीय सेना का घातक दस्ता पहुंचा मौके पर

हिंसक झड़प में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू शहीद हो गए तो बिहार रेजीमेंट के सैनिकों के धैर्य का बांध टूट गया। चीनी सैनिकों की तादाद बहुत ज्‍यादा थी, जिसके बाद भारतीय फौज ने पास की टुकड़ी को इस बारे में जानकारी दी और मदद मांगी। सूचना मिलने के तुरंत बाद ही भारतीय सेना का ‘घातक’ दस्ता मदद के लिए वहां पहुंचा। बिहार रेजीमेंट और घातक दस्ते के सैनिकों की कुल तादाद सिर्फ 60 थी, जबकि दूसरी तरफ दुश्मनों की तादाद काफी ज्यादा थी।

चीनी सैनिकों के हथियार छीनकर उन्हीं पर हमला किया

ये लड़ाई लगभग चार घंटे तक चलती रही। चीनियों के पास तलवार और रॉड थे, जिनको छीनकर भारतीय सैनिकों ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया। बिहार रेजीमेंट के जवानों का यह रौद्र रूप देखकर सैकड़ों की तादाद में मौजूद चीनी भागने लगे और घाटियों में जा छिपे, जिसके बाद भारतीय जवानों ने उनका पीछा करते हुए उन्‍हें पकड़-पकड़ कर मारा। इस दौरान भारतीय सैनिक चीन के अधिकार क्षेत्र में पहुंच गए थे। जिन्हें बाद में चीन ने वापस भेजा।

 

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