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एक कविता ब्राह्मणों के लिए समर्पित

एक कविता ब्राह्मणों के लिए समर्पित

ब्राम्हण होकर ब्राम्हण का, 
आप सभी सम्मान करो!

सभी ब्राम्हण एक हमारे, 
मत उसका नुकसान करो!

चाहे ब्राम्हण कोई भी हो, 
मत उसका अपमान करो!

जो ग़रीब हो, अपना ब्राम्हण 
धन देकर धनवान करो!

हो गरीब ब्राम्हण की बेटी, 
मिलकर कन्या दान करो!

अगर लड़े चुनाव ब्राम्हण,
शत प्रतिशत मतदान करो!

हो बीमार कोई भी ब्राम्हण,
उसे रक्त का दान करो!

बिन घर के कोई मिले ब्राम्हण, 
उसका खड़ा मकान करो!

अगर ब्राम्हण दिखे भूखा, 
भोजन का इंतजाम करो!

अगर ब्राम्हण की हो फाईल, 
शीघ्र काम श्रीमान करो!

ब्राम्हण की लटकी हो राशि, 
शीघ्र आप भुगतान करो!

ब्राम्हण को अगर कोई सताये, 
उसकी आप पहचान करो!

अगर जरूरत हो ब्राम्हण को, 
घर जाकर श्रमदान करो!

अगर मुसीबत में हो ब्राम्हण, 
फौरन मदद का काम करो!

अगर ब्राम्हण दिखे वस्त्र बिन, 
उसे अंग वस्त्र का दान करो!

अगर ब्राम्हण दिखे उदास, 
खुश करने का काम करो!

अगर ब्राम्हण घर पर आये,
जय ब्राम्हण राज बोल सम्मान करो!

अपने से हो बड़ा ब्राम्हण, 
उसको आप प्रणाम करो!

हो गरीब ब्राम्हण का बेटा, 
उसकी मदद तमाम करो!

बेटा हो गरीब ब्राम्हण का पढ़ता, 
कापी पुस्तक दान करो!

जय श्री परशुराम जी की,जय ब्राम्हण समाज

यदि आप ब्राम्हण समाज का विकास करना चाहते है तो यह कविता प्रत्येक ब्राम्हण तक पहुंचनी चाहिये।

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