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नागपुर समाचार : द.म.क्षे.सां. केंद्र, नागपुर द्वारा 28 से 30 जुलाई 2023 को होगा “32 वें डॉ. वसंतराव देशपांडे स्मृति संगीत समारोह” का भव्य आयोजन

नागपुर समाचार : डॉ. वसंतराव देशपांडे जी की स्मृति में दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर द्वारा प्रतिवर्ष “डॉ. वसंतराव देशपांडे स्मृति संगीत समारोह” का आयोजन किया जाता है। इस समारोह का यह 32 वां वर्ष है। वर्षो की इस परंपरा के अनुसार दिनांक 28 से 30 जुलाई 2023 के दौरान प्रतिदिन शाम 6.30 बजे डॉ. वसंतराव देशपांडे स्मृति सभागृह, सिविल लाइन्स, नागपुर में यह समारोह सम्पन्न होगा। इस समारोह में शास्त्रीय गायन, वादन एवं संगीत नाटक की सुमधुर और सदाबहार प्रस्तुतियाँ होगी। 

दिनांक 28 जुलाई 2023, शुक्रवार को समारोह के उद्घाटन के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ मूलतः नागपुर निवासी तथा वर्तमान मे मुंबई स्थित सुप्रसिध्द वायलिन वादक सुरमणि श्री राजेंद्र भावे एवं उनकी सुपुत्री श्रीमती श्रुति भावे-चितळे द्वारा “वायलिन वादन (जुगलबंदी)” से होगा। इन्हे तबले पर श्री तेजोवृश जोशी संगत करेंगे। 

सुरमणि श्री राजेंद्र भावे ने कै. बाबासाहेब वाकेकर, कै. शामराव विलायची एवं पं. राजाभाऊ कोगजे इनके मार्गदर्शन मे शिक्षा प्राप्त की है।  वे आकाशवाणी के मान्यता प्राप्त कलाकार है। इन्होने देश एवं विदेशों मे अपनी प्रस्तुतियाँ दी है। इनके “स्वच्छ भारत अभियान” गीत, “सूखकर्ता” गणेश आरती एवं स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी के “जयोंस्तुते” यह संस्कृतानुवादित गीत डीडी न्यूज़ पर प्रसारित हुए है। इन्होने उस्ताद झाकिर हुसैन व पं. स्वपन चौधरी इत्यादि के साथ लहरा संगत की है। साथ ही आप कई पुरस्कारों से सम्मानित है।

श्रीमती श्रुति भावे-चितळे एक बहुमुखी युवा कलाकार है। इन्होने 16 वर्ष की आयु से पिता राजेन्द्र भावे से वायलिन वादन की शिक्षा प्राप्त की। साथ ही इन्हे विश्व प्रसिध्द वायलिन वादक कला रामनाथ, पद्मश्री पं. डी. के. दातार व मिलिंद रायकर से भी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। इन्होने कई समारोह, कार्यक्रमों इत्यादि मे 1000 से अधिक एकल वायलिन वादन की प्रस्तुतियाँ दी है। साथ ही इन्होने गायन, कथक व भरतनाट्यम नृत्य की भी शिक्षा प्राप्त की है। इन्होने सुप्रसिध्द संगीतकार अशोक पत्की, स्व. आनंद मोडक, कौशल इनामदार, अवधूत गुप्ते, सलील कुलकर्णी, अमित त्रिवेदी इत्यादि के साथ काम किया है। साथ ही इन्होने गायक सुरेश वाडकर, आनंद भाटे, महेश काळे, सोनू निगम, आतिफ असलम, जावेद अली, तलत अज़ीज़ इत्यादि के साथ भी कार्य किया है।

प्रथम दिन के कार्यक्रम की द्वितीय प्रस्तुति सुविख्यात गायिका गानविदूषि कौशिकी चक्रवर्ती (कोलकाता) द्वारा “हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन” की होगी। इन्हे तबले पर यशवंत वैष्णव, संवादिनी पर मिलिंद कुलकर्णी, सारंगी पर मुराद अली एवं वोकल सपोर्ट मिथाली लोहार द्वारा साथ संगत कि जाएगा।

कौशिकी चक्रवर्ती ने प्रारंभिक शिक्षा उनकी माँ श्रीमती चंदना चक्रवर्ती से प्राप्त की। साथ ही पिता पं. अजय चक्रवर्ती से भी शिक्षा ग्रहण की। इन्होने गंडा बंध पध्दति से सुप्रसिध्द गुरु पं. ज्ञानप्रकाश घोष से भी शिक्षा प्राप्त की है। इसके पश्चात इन्होने पद्मविभूषण पं. एम. बालमुरली कृष्ण से कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली।  कौशिकी चक्रवर्ती पटियाला घराने की एक प्रमुख गायिका है। आपने देश एवं विदेशों मे अनेक समारोह मे शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी है।

कौशिकी चक्रवर्ती इन्होने फिल्म वॉटर के लिए संगीत निर्देशक ए.आर रहमान के लिए गाना गाया है। इन्होने एल्बम “जन गण मन” के लिए पं. भीमसेन जोशी एवं स्वरकोकिला लता मंगेशकर के साथ काम किया, यह एल्बम ए.आर रहमान द्वारा निर्मित था। इन्होने कई फिल्मों मे अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। जिसमे चैपलिन, चित्रांगदा, तीन कन्या, जानी देखा होबे, शून्यो अंका, लोरई इत्यादि बंगाली फिल्म, पंच अध्याय, गुलाब गैंग हिन्दी फिल्म साथ ही रामानुजन एवं थिरुमनम एन्नुम निक्कह तमिल फिल्म का समावेश है। इनके द्वारा प्रसिध्द कार्यक्रम MTV कोक स्टुडियो मे गाया गया गीत दुनिया भर मे प्रशंसनीय रहा।

कौशिकी चक्रवर्ती इन्हे उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार, BBC अवार्ड फॉर आऊटस्टैंडिंग अचिवमेंट 2005, GIMA अवार्ड, म्यूजिक मिर्च अवार्ड, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा महा सम्मान 2019, नारी शक्ति पुरस्कार 2019 इत्यादि कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया हैं।

दिनांक 29 जुलाई 2023, शनिवार को समारोह की प्रथम प्रस्तुति पेरावली जया भास्कर एवं समूह (हैदराबाद) द्वारा “स्वर लय सुधा” ताल वाद्य कचेरी की होगी। इस प्रस्तुति मे तबले पर अख्तर हसन, घटम पर बी. जनार्धन, थविल पर सी. एम. रामचंद्रूडु, मोर्सिंग पर एल. प्रसाद, वायलिन पी. नंद कुमार एवं सितार पर के. नंद कुमार सह वादन करेंगे।

पेरावली जया भास्कर ने गुरुकुल प्रणाली के अंतर्गत पद्मश्री डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव एवं गुरु शिष्य परंपरा के तहत पालघाट मणि अय्यर से प्रशिक्षण प्राप्त किया, उन्होंने भारतीय संगीत क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ काम किया है। इनमे डॉ. एम. बालमुरली कृष्ण, प्रो. टी.एन. कृष्ण

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