छत्तीसगढ समाचार : दंतेवाड़ा जिला के रहने वाले अब्दुल हमीद सिद्दिकी शादीशुदा है और 3 बच्चों के पिता थे। फिर भी करीब 3 साल से वह एक हिंदू महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। साल 2021 में महिला ने धर्म परिवर्तन किए बिना उससे शादी कर ली। इस संबंध के चलते हिंदू महिला ने अगस्त 2021 में एक बच्चे को जन्म दिया। उसके बाद बीते 10 अगस्त 2023 को महिला अपने बच्चे को लेकर चली गई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लिव इन से अलग हुए युवक को उसकी प्रेमिका से हुए बच्चे की कस्टडी देने से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह भारतीय संस्कृति के विपरीत है। समाज के कुछ क्षेत्रों में लिव इन रिलेशनशिप भारतीय संस्कृति पर कलंक के तौर पर जारी है। हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल के डिवीजन बेंच में इस प्रकरण की सुनवाई हुई। समाज के कुछ क्षेत्रों में अपनाई जाने वाली लिव इन रिलेशनशिप अभी भी भारतीय संस्कृति में कलंक के रूप में जारी है, क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप आयातित धारणा है, जो कि भारतीय रीति की सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है।
व्यक्तिगत कानून के प्रावधानों को किसी भी अदालत के समक्ष तब तक लागू नहीं किया जा सकता, जब तक कि इसे प्रथा के रूप में पेश और साबित नहीं किया जाता है। एक विवाहित व्यक्ति के लिए लिव इन रिलेशनशिप से बाहर आना बहुत आसान है और ऐसे मामलो में, उक्त कष्टप्रद लिव इन रिलेशनशिप से बचे व्यक्ति की वेदनीय स्थिति और उक्त रिश्ते से जन्म लिए संतानो के संबंध में न्यायालय अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता है। हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस.अग्रवाल के डिवीजन बेंच में इस प्रकरण की सुनवाई हुई है। कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चे की कस्टडी उसके नेचुरल पिता को सौंपने से इनकार किया है। साथ ही कहा कि अपीलकर्ता कानूनी अभिभावक होने और अदालत के आदेश का दावा नहीं कर सकता।