नागपुर समाचार : नमकीन की बात आये तो नागपुर में सबसे पहला नाम हल्दीराम का आता है। नागपुर सहित विदर्भ के लोग हल्दीराम द्वारा बनाए उत्पाद को अपना मानकर खरीदते और खाते हैं। हालांकि, अब अपना देसी हल्दीराम विदेशी हो गया है। पिछले कई दिनों से चली आरही चर्चा चरितार्थ हो गई। करीब 70 हजार करोड़ में कंपनी का सौदा हो गया है। ब्लैकस्टोन ने कंपनी के 74 हिस्सेदारी खरीद ली है।
अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) और सिंगापुर की GIC के सहयोग से ब्लैकस्टोन हल्दीराम स्नैक्स फूड (HSFPL) में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। दुनिया के सबसे बड़े निजी इक्विटी फंड, ब्लैकस्टोन के नेतृत्व वाले एक समूह ने भारत की सबसे बड़ी स्नैक और सुविधाजनक खाद्य कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। दुनिया की सबसे बड़ी निजी इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन के नेतृत्व वाले निवेशक समूह से हल्दीराम स्नैक्स फूड (एचएसएफपीएल) में बहुमत हिस्सेदारी खरीदने की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक इस डील में ब्लैकस्टोन के साथ-साथ अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) और सिंगापुर सरकार की GIC भी शामिल है. बताया गया है कि यह कॉन्ट्रैक्ट 8.1 बिलियन डॉलर का है। यह भारत में एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा।
हल्दीराम भारत में एक बड़ा ब्रांड है। हल्दीराम नमकीन, चिप्स, मिठाई और पेय पदार्थ सहित विभिन्न प्रकार के स्नैक्स और खाद्य उत्पाद बनाती है। कंपनी की स्थापना 1937 में हुई थी। ब्लैकस्टोन और उसके पार्टनर ने हल्दीराम में 74-76 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी. इसकी अनुमानित लागत 8 से 8.5 अरब डॉलर (66,400-70,500 करोड़ रुपये) है. यदि यह सौदा आगे बढ़ता है, तो यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा निजी इक्विटी अधिग्रहण होगा।
नागपुर स्थित हल्दीराम समूह के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, नागपुर और दिल्ली समूहों के बीच चल रहा लेनदेन वर्तमान में चल रहे सफल विलय पर निर्भर है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इसे मंजूरी दे दी है। यह प्रक्रिया अगले तीन से चार महीने में पूरी होने की उम्मीद है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने पिछले साल अप्रैल में विलय को मंजूरी दे दी थी।