गड़चिरोली समाचार : तीन दिन पूर्व 10 लाख की इनामी दो खुंखार नक्सलियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल करने के बाद जिला पुलिस विभाग को एक बड़ी सफलता हाथ आई है। नक्सल दलम में लगातार हो रहीं परेशानी से तंग आकर गुरूवार दो महिला नक्सलियों ने पुिलस जवानों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। दोनों महिला नक्सलियों पर राज्य सरकार ने कुल 16 लाख रूपयों का इनाम था।
आत्मसमर्पित नक्सलियों में 8 लाख रूपये इनामी प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य और सप्लाई टीम सदस्या धानोरा तहसील के बोगाटोला (गजामेंढ़ी) निवासी प्रमिला सुखराम बोगा उर्फ मंजुबाई (36) और 8 लाख रूपये इनामी प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य और सप्लाई टीम सदस्या धानोरा तहसील के मरकेगांव निवासी अखिला संकेर पुडो उर्फ रत्नमाला उर्फ आरती (34) का समावेश है। राज्य सरकार ने दोनों नक्सलियों का आत्मसमर्पण मंजूर करते हुए उनके पुनर्वसन के लिए 5-5 लाख रूपयों की निधि मंजूर की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नक्सलियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने नक्सल आत्मसमर्पण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों का पुनर्वास कर उन्हें विभिन्न प्रकार का रोजगार उपलब्ध कर रहने के लिए पक्के मकान उपलब्ध कराए जाते हैं। नक्सली दलम में लगातार हो रही परेशानी से तंग आकर अब दलम में सक्रिय नक्सली सदस्य इस याेजना का लाभ उठाते हुए समर्पण कर रहें है। वर्ष 2022 से 2024 तक अब तक कुल 21 खुंखार नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। इन सभी नक्सलियों का योजना की नीतियों के तहत पुनर्वास किया गया है।
गुरूवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाली दोनों महिला नक्सलियों ने बताया कि, दलम के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा लोगों से जबरन पैसे वसूली करवाना और यह पैसा अपने के लिए खर्च करना, दलम में महिला नक्सलियों से दूजाभाव करना, विवाह होने के बाद भी दलम में अविवाहित जीवन बीताना, लगातार बढ़ रही पुलिस गश्त के कारण जान को खतरा निर्माण होना, मुखबिरी के आरोप में निष्पाप लोगों की हत्या करना, दलम में कार्य करते समय बीमार पड़ने पर समय पर उपचार न मिलना आदि समेत विभिन्न कारणों से तंग आकर प्रमिला और अखिला ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
हाल ही में 9 जुलाई को गड़चिरोली के सुरक्षाबलों ने 10 लाख रूपये इनामी 2 खुंखार नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। अब 16 लाख रूपये इनामी दो महिला नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किये जाने से एक बार फिर नक्सल आंदोलन बैकफूट पर सिमटते नजर आ रहा है।