• राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने विभागीय शिक्षा उपसंचालक को दिए निर्देश
• ७०० अल्पसंख्यक शालाओं की ऑडिट रिपोर्ट भी मांगी
नागपुर समाचार :- अल्पसंख्यक मान्यताप्राप्त शालाओं को सरकार की तरफ से पर्याप्त अनुदान मिलता है. इसके बावजूद ऐसी स्कूलों में अल्पसंख्यक समाज के विद्यार्थियों को ही नियम अनुसार प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जबकि दलालों के माध्यम से प्रवेश देने के लिए मोटी रकम लेकर एडमिशन देने का गोरखधंधा चल रहा है. राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पास इस तरह की अनेक शिकायतें है. महाराष्ट्र राज्य अलपसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने गुरुवार को नागपुर विभागीय शिक्षा उपसंचालक उल्हास नरड़ के साथ समीक्षा बैठक में यह दवा किया. बैठक में नागपुर सहित चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया, वर्धा जिले के सभी शिक्षा अधिकारी भी मौजूद थे.
बैठक में आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने अल्पसंख्यक शालाओं के शैक्षणिक स्तर और सुविधाओं पर चर्चा की. उन्होंने कहा की आयोग के पास कई शालाओं की मनमानी के एविडेंस है. जहाँ केवल सरकार से अनुदान लेने के लिए बच्चों को आगे रखकर फोटो खिंचवाने का काम चल रहा है. लेकिन स्कुल में सुविधाओं पर कोई खर्च नहीं हो रहा है.
प्यारे खान ने यह भी दावा किया की कई शालाओं में पैसा वसूलने के लिए पुराने शिक्षकों को वॉलेंट्री रिटायरमेंट के लिए मजबूर किया जा रहा है. ताकि उनकी जगह नयी भर्ती कर के वसूली की जा सके. खान ने कहा की कई अल्पसंख्यक शालाओं में प्रबंधकों और शिक्षकों ने अपने घर तक बना लिए है. जहा बच्चों को पढ़ाना था, वह व रह रहे है. उन्होंने कहा की एक स्कुल की शिकायत ऐसी है की वह का प्रिंसिपल हर टीचर से महीनेवार तीन हजार रूपए लेता है. कई शालाओं में नए भर्ती हुए शिक्षकों से किश्तों में वसूली की जा रही है. यह सब जानकारी में है और इनके खिलाफ आयोग के पास एविडेंस भी है. ऐसी शालाओं की शिकायतें इसलिए नहीं हो पाती है क्यूंकि विभाग अपना काम जिम्मेदारी से नहीं करता है. लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा. प्यारे खान ने विभागीय शिक्षा उपसंचालक को निर्देश दिए की इस तरह से आर्थिक धांधली कर रही अल्पसंख्यक शालाओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाये और दोषी पाए जाने पर इन अल्पसंख्यक शालाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द करके एफआईआर दर्ज करवाएं.
उन्होंने यह भी कहा की स्कूलों की इस तरह की गतिविधि को रोकने के लिए आयोग जल्द ही एंटी करप्शन ब्यूरो को भी पत्र लिखेगा. आयोग के अध्यक्ष ने ७०० अल्पसंख्यक शालाओं की ऑडिट रिपोर्ट भी विभाग से मांगी है. उन शिक्षकों की रिपोर्ट भी मांगी है जिन्होंने सेवानिवृत्ति से पहले ही वॉलेंट्री रिटायरमेंट ले लिया. यह भी रिपोर्ट मांगी है की ऐसी कितनी शालाएं है जिन्हें अल्पसंख्यक विद्यार्थी नहीं मिले और आवेदन की संख्या व इसकी पूर्ण जानकारी हो. ऐसी शालाओं के तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट भी उपलब्ध कराएं. उपसंचालक ने सभी शिक्षा अधिकारीयों को इस पर निर्देश दिए.
प्यारे खान ने कहा की शिक्षा का स्तर बढ़ेगा तो ही अल्पसंख्यकों का आर्थिक व् सामाजिक विकास हो पायेगा. इसके लिए शैक्षणिक संस्थानों में बदलाव व सुधार लाना होगा. उन्होंने यह भी कहा की अल्पसंख्यक सभी शालाओं में सीसीटीवी हो, बायोमैट्रिक मशीन लगाए. क्यूंकि मोटा वेतन लेकर भी शिक्षक गायब रहते है.
अंजुमन की जांच होगी
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने बैठक में नागपुर के अल्पसंख्यक मान्यता प्राप्त अंजुमन कॉलेज में डेढ़ वर्ष से शिक्षकों को सैलेरी नहीं दिए जाने और संस्थान के अधिकृत खाते से ७ करोड़ रूपए दूसरे अन्य कहते में ट्रासंफर किये जाने का दावा करते हुए शिक्षा उपसंचालक को इसकी जाँच के निर्देश दिए. शिक्षा उपसंचालक ने इसके लिए शिक्षा अधिकारी को बैठक में जाँच करवाने के निर्देश दिए.
उर्दू के एक ही पीरियड हो
आयोग के अध्यक्ष ने समीक्षा बैठक में चिंता व्यक्त करते हुए कहा को अल्पसंख्यक शालाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी बड़ी निजी शालाओं की तरह विकसित होने चाहिए. इसके लिए सरकार स्कूलों को भरी अनुदान देती है. उन्होंने उपसंचालक को निर्देश दिए उर्दू माध्यमिक शालाओं में एक पीरियड ही उर्दू का हो. बाकि विषय अंग्रेजी में पढ़ाये जाये. इसके लिए पहल करे. आयोग सरकार से इसपर चर्चा करेगा. प्रावधान के लिए शिक्षा मंत्री को पत्र लिखेंग.
अल्पसंख्यक शालाओं में आरक्षित सीट सहित सारी जानकारी सार्वजनिक करें
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने विभागीय शिक्षा उपसंचालक उल्हास नरड़ को निर्देश दिए कि सभी अल्पसंख्यक शालाओं की जानकारी अख़बार में विज्ञापन देकर सार्वजनिक करें. लोगों पता होना चाहिए की किस स्कुल में अल्पसंख्यकों के लिए कितनी सीट आरक्षित है. शुल्क सहित सुविधाएं आदि की जानकारी होनी चाहिए.