वर्धा समाचार : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में गुरुवार, 01 अगस्त को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि तथा लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे की जयंती पर अभिवादन किया गया। विश्वविद्यालय के आचार्य रघुवीर प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह एवं कुलसचिव प्रो. आनन्द पाटील ने अण्णाभाऊ साठे के फोटो पर माल्यार्पण कर अभिवादन किया। इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक क़ादर नवाज़ ख़ान, शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. हेमचंद्र ससाणे, डॉ. अभिषेक कुमार सिंह, सुरक्षा अधिकारी सुधीर खरकटे सहित सभी सुरक्षा कर्मियों एवं कर्मचारियों ने भी अण्णाभाऊ साठे को अभिवादन किया।
विश्वविद्यालय के गुर्रम जाशुवा सभागार में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर-सिदो-कान्हू मुर्मू दलित एवं जनजातीय अध्ययन केंद्र द्वारा व्याख्यान का आयोजन कर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक तथा लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे को अभिवादन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र के प्रभारी डॉ. बालाजी चिरडे ने की। वक्ता के रूप में दूर शिक्षा निदेशालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. सदीप सपकाले ने संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि अण्णाभाऊ साठे ने ग्रामीण परिवेश की भाषा का प्रयोग करते हुए महज 50 वर्ष की आयु में 09 पोवाडे, 20 कथा संग्रह और अनेक कवितायों की रचना की। हिंदी साहित्य विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. कोमल कुमार परदेशी ने कहा कि अण्णाभाऊ साठे के 09 उपन्यासों पर फिल्में बनी जिसमें 09 फिल्मों में वे स्वयं अभिनेता बने। उन्होंने फिल्मों का दिग्दर्शन, पटकथा लेखन और गीत लेखन भी किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. बालाजी चिरडे ने लोकमान्य तिलक के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तिलक ने केसरी और मराठा जैसे पत्र निकाले। गीता रहस्य ग्रंथ लिखा। उनका वर्षों तक भारतीय राजनीति पर प्रभाव रहा है। उन्हें भारतीय असंतोष के जनक के रूप में ख्याति प्राप्त थी।
इस अवसर पर डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. किरण कुंभरे, डॉ. राकेश सिंह फकलियाल, डॉ. मनोज तिवारी, डॉ. मनोज मुनेश्वर, बी.एस. मिरगे, भालचंद्र जमधाडे, संघर्ष डहाके, तस्लीमा नसरीन, विजय कुंभरे, विवेक मिश्र, मंगेश गजघाटे आदि की उपस्थिति रही।