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नागपुर समाचार : श्री राम कथा जीवन का दर्पण – शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज

दिव्य श्री राम कथा की निकली मंगल कलश यात्रा

नागपुर समाचार : श्री राम कथा हमारे जीवन का दर्पण है। दर्पण कभी भी झूठ नहीं बोलता। दर्पण हमें हमारे सत्य की ओर ले जाता है। जीवन का दर्पण हमें आज के दर्शन कराता है। दर्शन कराने वाला स्वरूप जो है वो है रामायण। रामकथा, रामायण जो है वह जीवन का कल्याण करने वाली है। जो रामायण को अपने जीवन में उतारता है उसका जीवन सभी लोक में सरल और सुलभ हो जाता है। राम ब्रह्म हैं। उक्त आशय के उद्गार शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज जी ने श्री शंकराचार्य कुटुम्बकम, नागपुर की ओर से आयोजित 3 दिवसीय दिव्य श्री राम कथा के दौरान भक्तों से कहे। श्री राम कथा का भव्य आयोजन भेंडे ले-आउट, मोखरे कॉलेज के पास, त्रिमूर्ति नगर में 29 सितंबर तक किया गया है। इसका समय दोपहर 3 से 6 बजे तक रखा गया है। श्री राम कथा की मुख्य संयोजिका विधि झा हैं।

कथा आरम्भ से पूर्व आज सुबह श्री गजानन महाराज मंदिर से भव्य व सुंदर मंगल कलश यात्रा कथास्थली भेंडे लेआऊट, गणेश मैदान के लिए निकाली गई। कलश यात्रा में 108 मंगल कलश सिर पर धारण कर महिलाएं शामिल हुईं। रामायण पोथी सिर पर यजमान संजीव झा व विधि झा ने धारण किया। साथ में शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज का रथ चल रहा था। बैंड बाजे पर आरती व भक्ति गीत की गूंज के साथ श्री राम सीता, लक्ष्मण की सुंदर झांकी थी। जगह जगह मार्ग पर भक्त परिवारों ने मंगल कलश यात्रा का स्वागत किया। जय श्री राम के जयघोष से परिसर गुंजायमान हो उठा।

अपने प्रवचन में शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने आगे कहा कि ‘ बिन सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिन सुलभ न सोई’। अर्थात बिना सत्संग के कभी विवेक प्राप्त नहीं हो सकता। सत्संग का एक भी क्षण जीवन को सुधारने व कल्याण करने के लिए मिले तो उसका पूरा लाभ लें। सत्संग के फल के आगे सभी चीजें लघु हो जाती हैं। सत्संग के लिए जो कुछ भी त्यागना पड़े त्याग दो। सत्संग की महिमा बहुत बड़ी है। उन्होंने आगे कहा कि राम कथा सुनने का अधिकारी वह है जो मानव बनने को तैयार है। परिवार में, समाज में रहकर हमें कैसे जीना है यह सीख हमें रामायण देती है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास बहुत से ग्रंथ हैं। हर ग्रंथ कुछ न कुछ सीखता है। भागवत कथा हमें मरना सिखाती है। गीता हमें जागना सिखाती है परंतु रामायण हमें जीवन कैसे जीना है वह सिखाती है।

28 सितंबर को सुबह 9 से 12 बजे तक श्री वृद्धि महालक्ष्मी यज्ञ होगा। पश्चात कथा दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक होगी। रविवार 29 सितंबर को सुबह 9 बजे श्री वृद्धि महालक्ष्मी यज्ञ होगा। पश्चात कथा दोपहर : 3 बजे होगी। इसी दिन शाम 7 बजे भव्य महाप्रसाद वितरण कार्यक्रम होगा।

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