रामटेक समाचार : रामटेक विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेंद्र मुलक की बगावत सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। शिवसेना (ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा बार-बार निवेदन के बावजूद यह सीट कांग्रेस के लिए नहीं छोड़ी गई, जिससे कांग्रेस उम्मीदवार विशाल बरबटे मुश्किल में आ गए हैं। राजेंद्र मुलक की बगावत के चलते यहां की लड़ाई प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गई है और महायुती के शिंदे गुट के विधायक आशीष जयसवाल के लिए भी बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। कांग्रेस के अन्य बागी नेताओं में
चंद्रपाल चौक से और सचिन किरपान भी मैदान में हैं। साथ ही भाजपा से निलंबित पूर्व विधायक मल्लिकार्जुन रेड्डी की भूमिका भी यहां महत्वपूर्ण मानी जा रही है। नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा का रण पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है। भले ही भाजपा को आंशिक राहत मिली हो, लेकिन चिंता अभी भी बरकरार है। वहीं, कांग्रेस के लिए कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर बाकी में संकट की स्थिति बनी हुई है। भाजपा ने अपने बागियों को शांत कराने में आंशिक सफलता पाई है, जबकि कांग्रेस अपने बागियों को रोकने में विफल रही है, जिससे उसके वोटों का विभाजन तय माना जा रहा है। रामटेक विधानसभा में बहुरंगी मुकाबले की जोरदार चर्चा है, और इस निर्वाचन क्षेत्र की ओर पूरे राज्य की नजरें लगी हैं। कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेंद्र मुलक के पीछे पार्टी का समर्थन है और पूर्व मंत्री सुनील केदार की प्रतिष्ठा भी यहां दांव पर लगी है।
रामटेक में शिंदे सेना के उम्मीदवार और वर्तमान विधायक आशीष जयसवाल, कांग्रेस बागी राजेंद्र मुलक, शिवसेना (ठाकरे गुट) के विशाल बरबटे, और चंद्रपाल चौक से के बीच बहुरंगी लड़ाई होने की उम्मीद जताई जा रही है।