नागपुर : एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई। गैंगरीन की परेशानी के चलते पैर की सर्जरी होना थी, लेकिन कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के चलते एलेक्सिस अस्पताल में उनका इलाज नहीं हो पाया और दूसरे अस्पताल में ले जाने के पहले ही उनकी मौत हो गई। इस दौरान अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं होने का कारण बताते हुए यहां तक कि व्हीलचेयर पर ही उनकी जांच की गई थी। सहायक उपनिरीक्षक विजय श्रीवास्तव पुलिस मुख्यालय में बतौर डीआई पदस्थापित थे।
मरीज विजय मोतीलाल श्रीवास्तव (53) के भाई राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि विजय श्रीवास्तव को हाई डायबिटीज के साथ गैंगरीन की भी परेशानी थी। 4 दिन पहले ऑरेंज सिटी अस्पताल लेकर गए, तो वहां 50 हजार रुपए एडवांस मांगे गए। कहा- दवा खर्च के अलावा प्रतिदिन 11 हजार लगेंगे। इतने पैसे नहीं होने के कारण उनका इलाज वहां नहीं हो पाया। क्षेत्रीय पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में रविवार को कोविड जांच कराई गई, रिपोर्ट निगेटिव आई। फिर मंगलवार को 11 बजे उन्हें एलेक्सिस अस्पताल ले जाया गया। जांच के बाद भर्ती करने के लिए कहा गया, लेकिन शाम 5.30 बजे तक बेड नहीं मिला।
बेड ही नहीं मिला
राजेश श्रीवास्तव के अनुसार, एलेक्सिस अस्पताल में बुधवार को सुबह 10 बजे बुलाया गया। पहुंचे तो मरीज को व्हीलचेयर पर बैठाकर डॉक्टर पंकज जैन ने जांच की और एडमिट फार्म बना कर दिया। एडमिशन से पहले दोपहर 1 बजे उनकी फिर कोविड जांच की गई। वहां रिपोर्ट पॉजिटिव आई, लेकिन हमें जानकारी नहीं दी गई। तब तक उन्हें भर्ती नहीं किया गया था।
3 लाख का ड्राफ्ट भेज रहा हूं : डीसीपी
उसी समय डीसीपी साहब का फोन आया कि आप मरीज को भर्ती करें, पैसे की चिंता न करें। मैं 3 लाख का ड्राफ्ट बनाकर भेज रहा हूं। इस पर अस्पताल प्रशासन ने डीसीपी से कहा कि एक मरीज डिस्चार्ज होने वाला है, उसके बाद बेड को सैनिटाइज करके हम उन्हें एडमिट कर देंगे। करीब 4 बजे उन्हें एक बेड पर लिटाया गया और कहा गया कि मरीज की हालत गंभीर है, इनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। हमारे पास कोविड पॉजिटिव के लिए बेड नहीं है, इसलिए आप इन्हें किंग्सवे अस्पताल ले जाइए। इसके बाद मरीज को ऑक्सीजन लगाया गया। थोड़ी ही देर बाद डॉक्टर उन्हें सीपीआर देने लगे। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
दूसरे अस्पताल भेज ही रहे थे
मरीज को अनियंत्रित डायबिटीज मेलिटस, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और दाएं पैर में गैंगरीन था। उनका कोविड एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हमारे पास उस समय कोविड का कोई आईसीयू बेड खाली नहीं था। उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती करने की व्यवस्था की जा रही थी। हमारी ओर से उन्हें भेजने की भी व्यवस्था कर दी गई थी, लेकिन उन्हें हार्ट अटैक आया। उन्हें बचाने की कोशिश की गई, लेकिन नहीं बचा पाए। -निरंजन जोशी, सीनियर मैनेजर, एलेक्सिस अस्पताल