▪️ निसार तम्बोली समेत पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर जताया संदेह
नागपुर समाचार : अकोला दंगे के आरोपी साजिद पठान को कांग्रेस की दंगा प्रभावित दौरा कमेटी का सदस्य नियुक्त किया गया। इससे कांग्रेस का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है और क्या वह नागपुर में दंगा फैलाने वाली कमेटी बन गयी है? यह आरोप भाजपा विधायक कृष्णा खोपड़े ने लगाया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए हिंदू संगठन को निशाना बनाकर अपना राजनीतिक घर जलाने का काम किया। अभी तक एक भी कांग्रेसी नेता इस दंगाग्रस्त इलाके में नहीं घूमा और उन्होंने देवड़िया कांग्रेस भवन को भी बंद रखा। इससे कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा उजागर हो गया है।
उन्होंने कहा कि भालदारपुरा, हंसापुरी क्षेत्र में हर दिन ४०० से ५०० कारें सड़कों पर खड़ी रहती हैं, लेकिन दंगे वाले दिन इस सड़क पर मुस्लिम समुदाय की एक भी गाड़ी नहीं थी। ये दंगे सोची-समझी योजना के तहत रचे गए थे। इनमें आतंकी भूमिका भी इन्हीं लोगों ने निभाई थी। जिस दिन घटना हुई, सहायक पुलिस कमिश्नर निसार ताम्बोली मौके पर थे। उनके सामने मुस्लिम समुदाय के देशद्रोही हमला कर रहे थे, लेकिन उन्होंने पुलिस पर हमला होने पर भी लाठीचार्ज नहीं करने दिया।
बल्कि मौजूद पुलिस बल को डायवर्ट करने का आदेश दिया। तो क्या दंगा भड़काने में इनका भी हाथ है? साफ नजर आता है कि उन्होंने दंगाइयों को दंगा करने का मौका देकर आरोपियों को बचाने की कोशिश की। इन अधिकारियों की भी गहन जांच की जरूरत है। खोपड़े ने कहा कि साजिद अकोला दंगे का मुख्य आरोपी है और वह दंगा प्रभावित क्षेत्र की कांग्रेस कमेटी का सदस्य है। क्या वह इस इलाके में दंगा भड़काने आये हैं? इसे दंगा समिति में क्यों लिया गया?
खोपड़े ने दंगों के दौरान शहर पुलिस के सुरक्षा प्रबंधन पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि एक दंगाई डीसीपी कदम पर जानलेवा हमला करके फरार हो जाता है और पुलिस कुछ नहीं कर पाती। सरकार ने पुलिस अधिकारियों को रिवाल्वर फ्रिज में रखने को दी है क्या? हैरानी की बात ये भी है कि जानलेवा हमले के ३ दिनों बाद तक भी हमारी शहर पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारी के हमलावर को ढूंढ नहीं सकी। साफ नजर आता है कि ऐसी ही लापरवाही का नतीजा नागपुर के हिंदूओं से झेला है।