नागपुर में ‘जनता कर्फ्यू’ के दूसरे दिन भी कर्फ्यू ‘ना’ के बराबर
नागपुर : कोरोना को हराने के लिए मेयर संदीप जोशी के विकेंड में जनता कर्फ्यू की अपील का असर नहीं सा देखने को मिला, ऐसे इलाकों में जहां भाजपा का वर्चस्व है वहां शत-प्रतिशत दूकानें बंद रहीं लेकिन दूसरे इलाकों में दूकानदारों ने दूकानें खोलीं। डेयरी, किराना को छोड़कर किसी अन्य दूकान में ग्राहकी आम दिनों की तरह ही नजर आइ। कुछ इलाकों में सब्जी-फल वालों ने भी दूकान भी सड़को के बाजु आम दिनों के हिसाब से सजाई, ड्युटी पर जाने वाले नागरिक अपने घरों से निकले, हालांकि कुछ लोग सड़क पर निकलने से बचे, उनका महापौर ने साथ देने के लिए आभार माना है और दिल से सलाम किया है। साथ ही अपील की है कि अपनी, अपने परिवार की, अपने से जुड़े लोगों को कोरोना जैसी महामारी से बचाने के लिए घर से नहीं निकलने की अपील की है।
शनिवार सुबह से ही मेयर ने खुद कमान संभाली थी. उनके साथ पूर्व पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले भी थे। सभी बाजार क्षेत्रों में स्वयं घूम-घूमकर जनता से अपने घरों में रहने की अपील कर रहे थे. उन्होंने बिना कारण बाहर घूम रहे लोगों से विनती की कि वे अपने घरों में जाएं।बड़कस चौक, झांसी रानी चौक, वेराइटी चौक, सदर, जरीपटका, इंदौरा, इतवारी, पांचपावली, गांधीबाग, महल, यशवंत स्टेडियम सहित सिटी के ऐसे सभी इलाकों में उन्होंने खुद पहुंचकर नागरिकों से अपील की।
सेन्ट्रल एवेन्यू में लगभग 80 फीसदी दूकाने खुली नजर आईं लेकिन ग्राहकी कम ही थी. मेडिकल दूकाने खुली थीं. मेयर ने कहा कि जनता कर्फ्यू मतलब लाकडाउन नहीं है।कुछ नागरिकों की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के चलते उनके घरों के बुजुर्ग व बच्चों को खतरा हो सकता है। इसलिए बिना कारण घरों से बाहर न निकलें। मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें,मनपा आयुक्त व पुलिस उपायुक्त द्वारा जनता कर्फ्यू की अपील के ठीक पहले दिन ट्वीट व परिपत्रक जारी कर यह कहना कि शासन द्वारा जनता कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। के संदर्भ में सवालों के जवाब में मेयर ने कहा कि यह वक्त राजनीति करने का नहीं बल्कि अपने शहर को बचाने का है. बैठक में पुलिस आयुक्त ने तो 9 दिनों के लाकडाउन की सलाह दी थी लेकिन उन पर दबाव डालकर परिपत्रक जारी करवाया गया. उन्होंने पालकमंत्री व गृहमंत्री का नाम लिए बिना कहा कि, इस दबाव के पीछे कौन हैं। यह आसानी से समझा जा सकता है।मेयर ने कहा कि यह शहर उनका भी है, इसे बचाने की जिम्मेदारी उनकी भी है. यह समय राजनीति करने का नहीं है।
पूर्व पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि सीएम मुंबई देख रहे, डीसीएम पुणे देख रहे हैं। नागपुर सहित पूरे विदर्भ को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 6 महीने से वे मुख्यमंत्री से मांग कर रहे हैं। कि नागपुर के लिए स्वास्थ सेवाएं, डाक्टर्स, स्टाफ, दवाइयों व उपकरों की त्वरित व पर्याप्त व्यवस्था करें लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया है। इतना ही नहीं पालकमंत्री नितिन राऊत ने विभागीय क्रीड़ा संकुल में 1000 बेड वाला अत्याधुनिक हास्पिटल बनाने की बात की थी लेकिन बाद में खुद ही भूल गए। नागपुर सहित विदर्भ की जनता को इस सरकार ने अपने हाल पर छोड़ दिया है। यहां के मंत्री भी इतनी विकट हालातों पर राजनीति कर रहे हैं।