कमेटी का अंदरूनी विवाद : फोन पर सूचना, नहीं मिली स्टे की कॉपी : ठाकरे ने गरीबों का घर बचाया
नागपुर : झिगाबाई टाकली स्थित बगदादिया कॉलोनी में उस समय बवाल मच गया जब मनपा आयुक्त के आदेश पर मंगलवारी जोन का तोडू दस्ता दल बल के साथ अवैध प्लॉटों को तोड़ने के लिए पहुंचा. हालांकि हाई कोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा स्टे मिलने के बाद तोडू दस्ते को कार्रवाई के बिना ही लौटना पड़ा. फिलहाल कुछ ही लोगों को स्टे मिलने से अन्य अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं होगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता है. मंगलवार की सुबह 11 बजे मनपा का दस्ता दल बल और 2 जेसीबी के साथ परिसर के
134 प्लॉट धारकों के अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए पहुंचा. दस्ते को देख परिसर के निवासी अतिक्रमण कार्रवाई का विरोध करने लगे. अपने घरों को बचाने के लिए 1,500 से अधिक नागरिकों ने बुलडोजर के आगे सड़क पर बैठक कर धरना -रदर्शन शुरू कर दिया. इसमें ब्लॉक अध्यक्ष प्रमोद ठाकुर, रिजवान रूमी, सुभाष मानमोड़े, जगदीश कोड़े, संजय भिलकर, विश्वनाथ देशमुख, पापा शिवपेठ, प्रेम गेडाम के साथ महिलाएं, युवा और बुजुर्ग लोग शामिल थे.
कमेटी का अंदरूनी विवाद
सतरंजीपुरा बड़ी मस्जिद संस्था की 16 एकड़ जमीन पर कुल 288 प्लाट तैयार किए गए. इन पर 134 नागरिक घर बना लिये हैं. स्थानीय निवासी फिरोज खान ने बताया कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की होने के साथ इसका केयर टेकर सतरंजीपुरा बड़ी मस्जिद संस्था है. वर्ष 1997 में इस ले-आउट को बेचा गया था. कई वर्षों से दोनों संस्थानों के बीच जमीन की मालकी को लेकर हाई कोर्ट में मामला चल रहा है. आरोपी सैय्यद साहिल के अवैध बंगले की सुनवाई के दौरान उसके पिता ने ले-आउट पर कई अवैध भवन होने की जानकारी दी थी. इसके बाद होई कोर्ट ने अवैध बांधकाम इमारतों से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई करने के आदेश जारी किये थे. तत्कालीन मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे ने कॉलोनी को अवैध करार देते हुए कुल 134 भवनों को तोड़ने के आदेश दिये थे.
फोन पर सूचना, नहीं मिली स्टे की कॉपी
मंगलवारी जोनल अधिकारी हरिष राऊत ने बताया कि बगदादिया कॉलोनी के 134 अवैध घरों को तोड़ने के लिए सुबह पूरा दस्ता मौके पर पहुंच गया था, लेकिन स्टे की सूचना मिलने के बाद उन्हें लौटना पड़ा. उन्होंने बताया कि मनपा के लॉ अधिकारी कपले की ओर से फोन पर सूचना मिली थी कि 3 लोगों को हाई कोर्ट से स्टे मिल गया है. स्टे की सूचना मिलने के बाद कार्रवाई स्थगित कर दी गई.हालांकि उन्हें स्टे को लेकर कोई लिखित कॉपी नहीं मिली.स्टे किन लोगों को मिला है, इसे लेकर अब भी क्लीयर नहीं हो पाया है. जिन नागरिकों को स्टे मिला है, उन्हें छोड़ कर अन्य अवैध निर्माण कर्ताओं पर कार्रवाई की जा सकती थी लेकिन पुलिस प्रोटेक्शन पर्याप्त नहीं होने के कारण कार्रवाई नहीं की गई. इस पर कई प्रकार के सवाल निर्माण हो रहे हैं. जैसे-जब मनपा अधिकारी के पास कोई स्टे की कॉपी पहुंची ही नहीं तो कार्रवाई क्यों रोक दी गई. इसके अलावा जब प्रशासन इतनी बड़ी कार्रवाई के लिए निकला तो पर्याप्त पुलिस प्रोटेक्शन को लेकर आखिर क्यों नहीं गया.
ठाकरे ने गरीबों का घर बचाया
कार्रवाई की सूचना मिलते ही घर मे भाई के देहांत को मात्र 3 दिन होने पर भी विधायक विकास ठाकरे जनता की मदद के लिए बगदादिया कॉलोनी पहुंच गए, जनता द्वारा किये गए आंदोलन को समर्थन देते हुए वह हाई कोर्ट का आदेश आने तक प्रदर्शन में डटे रहे. स्थानीय नागरिकों के साथ मिलकर सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए उन्होंने धरना-प्रदर्शन कर गरीबों का घर टूटने से बचा लिया. कार्रवाई को लेकर प्रशासन और नागरिकों के बीच करीब 5 घंटे तक खींचातानी जारी रही. इस दौरान 3 बारमनपा के जोनल अधिकारी व नागरिकों के बीच माहौल गरम हो गया. स्टे मिलने के बाद भी दल कार्रवाई के लिए आगे बढ़ा तो उन्होंने अधिकारी को फटकार लगाते हुए स्टे के आदेश की पुष्टि करने के लिए कहा. सूचना मिले के बाद दस्ता वापस लौट गया. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि विकास ठाकरे के समर्थन के कारण ही कार्रवाई स्थगित हो पाई और उनके कारण ही कई लोग बेघर होने से बच गए.