रविंद्र उर्फ़ छोटू भोयर की कांग्रेस में जाने की INSIDE स्टोरी
नागपुर समाचार : रविंद्र भोयर उर्फ़ छोटू भोयर, आज ये नाम नागपुर में चर्चा का विषय है वजह है। नागपुर में हो रहे स्थानीय स्वराज संस्था का विधान परिषद् चुनाव में छोटू भोयर कांग्रेस के उम्मीदवार है और उन्होंने आज अपना नामांकन पर्चा भरा।
छोटू भोयर जिनकी उम्र 55 वर्ष है उन्होंने अपने 34 वर्ष भारतीय जनता पार्टी को दिए। इस दौरान वो कई साल नगरसेवक रहे और साल 1997 में नागपुर महानगर पालिका में उपमहापौर भी रहे। छोटू भोयर को पार्टी ने नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट में ट्रस्टी भी बनाया लेकिन नवंबर 2021 में छोटू ने पार्टी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया।
क्या हुआ जो छोटू भोयर ने पार्टी छोड़ने का मन बनाया ?
छोटू भोयर ने 34 साल भारतीय जनता पार्टी में गुजारे। इस दौरान छोटू भोयर का विवाद तब सबसे पहले सामने आया। जब पार्टी ने उन्हें महापौर नहीं बनाया। छोटू भोयर ने पार्टी में बगावत की और पार्टी ने छोटू भोयर को उपमहापौर बनाया। उसके बाद छोटू भोयर को विधान परिषद् की सीट चाहिए थी। पार्टी ने नहीं दी और पार्टी ने छोटू भोयर को समझाते हुए नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया। लेकिन कुछ अनिमितताओं और शिकायतों के चलते पार्टी ने छोटू भोयर को ट्रस्टी पद से भी हटा दिया और तब से अब तक छोटू भोयर भारतीय जनता पार्टी में हाशिये पर चले गए।
छोटू भोयर कैसे बने कांग्रेस के उम्मीदवार ?
छोटू भोयर पिछले 2 साल से ही भारतीय जनता पार्टी में हाशिये पर रहे। उस दौरान उन्होंने पार्टी के खिलाफ जमकर बयानबाजी की और खुलकर की। ये बात पार्टी के नेताओ को भी पता थी। हाशिये पर चल रहे छोटू भोयर इस दौरान अपनी राजनीति की ज़मीन खोजते रहे। 2019 के विधानसभा चुनाव में छोटू भोयर ने अपनी संभावना खोजी थी लेकिन सफल नहीं हुए। इसके बाद उन्हें कांग्रेस के रूप में अपना भविष्य नज़र आया। इसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू की। और कांग्रेस नेताओ के साथ मिलना शुरू किया। छोटू भोयर ये बात जानते थे की अगर वो अकेले कांग्रेस में जायेगे तो कांग्रेस उन्हें तवज्जो नहीं देंगी। इस लिए छोटू भोयर ने भारतीय जनता पार्टी से असंतुष्ट नेताओ की एक टीम बनायीं जिसका नेतृत्व खुद किया।
कैसे बनी चुनाव की बात ?
छोटू भोयर कुछ महीने पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले के घर भाजपा के 2 और असंतुष्ट नेताओ को लेकर पहुंचे और दावा किया की भाजपा में कई ऐसे नगरसेवक और नेता है जो समय पड़ने पर पार्टी छोड़ सकते है ये बंद द्वार चर्चा कई घंटे तक चली। इसके बाद छोटू भोयर के करीबी एक मित्र जो कृषि उत्पन्न बाज़ार समिति से सरोकार रखते है उनके माध्यम से महाराष्ट्र के मंत्री सुनील केदार से मुलाक़ात हुई। ये मुलाक़ात कई बार हुई और छोटू भोयर ने सुनील केदार को भी अपना प्लान बताया और अपनी ताक़त बताई जिसके बाद वो राजी हो गए और यही चुनाव को लेकर आगे की रूप रेखा तय की गयी।
इस चुनाव प्रक्रिया में सुनील केदार के नाम की चर्चा इस लिए भी सामने आयी क्योकि नागपुर में विधान परिषद् के स्थानीय स्वराज संस्था में कुल 562 मत है इनमे से 400 से अधिक मत ग्रामीण में है। सिर्फ नागपुर शहर के नगरसेवक ही इसमें मतदान करेंगे। ऐसे में ये पूरा चुनाव नागपुर ग्रामीण पर ही निर्भर करेगा और ग्रामीण इलाके में सुनील केदार की पकड़ अच्छी है और उनके मंत्री बनने के बाद उनकी ताकत और बढ़ गयी।
ऐसे में छोटू भोयर और सुनील केदार की ये बैठक महत्वपूर्ण रही। सुनील केदार की ‘हा’ के बाद ही आगे की चुनाव प्रक्रिया को हरी झंडी मिली। वैसे तो इस पुरे चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पास जीत के लिए 60 से अधिक मत है लेकिन सुनील केदार के आश्वासन और ग्रामीण में उनकी पकड़ के बाद चुनाव की प्रक्रिया और उम्मीदवार के नाम को आगे किया गया। इसमें सहमति नाना पटोले की भी थी। नाना पटोले इस लिए भी खुश थे की वो संघ का एक स्वंमसेवक और बीजेपी का इतना वरिष्ठ नेता लेकर आ रहे है जो 34 साल भाजपा में थ। इससे दिल्ली में भी आरएसएस के नाम का अच्छा सन्देश कांग्रेस में जाता और नाना पटोले को भी इसका फायदा हो रहा था। आखिर उनके ही नेतृत्व में कांग्रेस महाराष्ट्र में इतना जो बढ़ रही है।
बताया ये भी जा रहा है की छोटू भोयर ने कांग्रेस में शामिल होने से पहले कांग्रेस को वादा किया था की वो इस चुनाव में अपने साथ 30 नगरसेवक लेकर आएंगे लेकिन उनके आज के कार्यक्रम में उनके साथ कोई भी भारतीय जनता पार्टी का नगरसेवक साथ नहीं आया। शायद वो दावा कर रहे हो की चुनाव में होने वाले मतदान में ये 30 नगरसेवक का मत उनके पक्ष में नज़र आएगा और वो जीतेंगे।