किसानों को नई-नई तकनीकों से करा रहे अवगत
नागपुर समाचार : शुभारंभ के बाद से ही कृषि प्रदर्शनी एग्रोविजन को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। प्रदर्शनी में देश के विविध राज्यों के स्टॉल लगे हैं, वहीं इन स्टॉलों पर नई-नई तकनीकों की जानकारी लेने के लिए किसानों का जमावड़ा लग रहा है।
धानुका एग्रीटेक का ड्रोन पहले ही दिन से आकर्षकण का केंद्र बना हुआ है। इस ड्रोन के माध्यम से खेतों में आसानी से दवाओं का छिड़काव किया जा सकता है। वहीं हाईग्रोनिक्स फार्मकेस सिस्टम के स्टॉल पर भी काफी पूछपरख हो रही है।
स्टॉल पर उपलब्ध मनीष राऊत ने बताया कि हाईड्रोनिक्स फार्मकेस सिस्टम मिट्टी रहित तकनीक है, जिसमें 300 तरह के पौधे केवल पानी की सहायता से लगाए जाते हैं। कंपनी ने पहली बार एग्रोविजन में स्टॉल लगाया है, जिसे अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
मनीष ने बताया कि इस तकनीक से पत्तेदार सब्जियां, तुलसी, पुदिना, टमाटर आदि के पौधे लगाए जाते हैं। इसमें पौधे की ग्रोथ मिट्टी के मुकाबले डेढ़ गुणा ज्यादा रहती है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से घर के भीतर भी पौधे लगाए जा सकते हैं और आवश्यकतानुसार इन्हें सजाया भी जा सकता है। उसी प्रकार प्रदर्शनी में जैविक, रासायनिक खाद्य आदि की भी बिक्री हो रही है।
खेती से लाखों कमाने के अवसर : एग्रोविजन में कम समय में किसानों की आय बढ़ाने के लिए विविध उत्पाद पेश किए गए हैं। विदर्भ एग्रो सोल्युशन की ओर से किसानाें के लिए स्वप्नपूर्ति शाश्वत कार्यक्रम के तहत कम समय में विविध उत्पादों का उत्पादन कर लाखों रुपए कमाने का दावा कंपनी द्वारा किया जा रहा है। किसान अपने खेतों में विविध प्रजाति की फसल लगाकर कम समय में अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
किसानों को हाईटेक खेती की जानकारी : एग्रोविजन में किसानों को दे रहे हाईटेक खेती की जानकारी दी जा रही है। यहां क्रॉप कवर, फ्रूट कवर, बनाना कवर, हेल नेट, सिल्वर-ब्लैक मल्च, व्हाइट-ब्लैक मल्च, एप्रोन एवं कीट रोधक जाल, वीड मैट आदि उत्पादों की जानकारी दी जा रही है।
बांबू से बने उत्पाद कर रहे आकर्षित : प्रदर्शनी में बांबू से बने उत्पाद भी आकर्षित कर रहे हैं। महाराष्ट्र बांबू विकास प्रधिकरण के स्टॉल पर बांबू से बने 100 से ज्यादा उत्पाद हैं, जिनमें नाइट लैम्प, पेन, डायरी के साथ ही कई आकर्षक उत्पाद हैं।
स्टॉल संचालक ने बताया कि बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए अटल बांबू समृद्धि योजना के तहत राज्य सरकार ने बांस की खेती के लिए योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत लगाए गए बांस के पेड़ से इन उत्पादों का निर्माण किया गया है।