रिपोर्टिंग सिस्टम में खामी से कोविड संक्रमण तेजी से फैलने का बड़ा कारण सामने आया है
नागपूर समाचार : कोविड टेस्ट कराने के बाद मरीज की रिपोर्ट आने में 2 से 4 दिन लग रहे हैं। जब तक आसीएमआर पोर्टल में अपलोड नहीं होती, तब तक स्वास्थ्य विभाग मरीज से संपर्क नहीं कर पाता। इस बीच मरीज कई लोगों से संपर्क में आता है और उसे भी पता नहीं रहता कि, वह पॉजिटिव है। रिपोर्टिंग सिस्टम में खामी से कोविड संक्रमण तेजी से फैलने का बड़ा कारण सामने आया है।
इस दरमियान टेस्ट करने के बाद रिपोर्ट विलंब से मिलने की जानकारी सामने आई। इसकी वजह जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि, पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट आईसीएमआर पोर्टल से ली जाती है। उसी के आधार पर स्वास्थ्य कर्मचारी मरीज के घर पहुंचते हैं। उनके स्वास्थ्य का परीक्षण कर मरीज की स्थिति के अनुसार औषधि दी जाती है। आईसीएमआर पोर्टल में लैब से रिपोर्ट अपलोड करने की सुविधा नहीं है, जिसके कारण थोड़ा विलंब होता है। क्लाउड पैथाेलॉजी के माध्यम से ऑटो जनरेटिव सिस्टम में विलंब कम हो सकता है। लैब से रिपोर्ट अपलोड करने की सुविधा होने पर यह विलंब नहीं होगा।
शहर में लगभग 60 जगह टेस्टिंग शुरू है। वहां स्वैब लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है। प्रयोगशाला से रिपोर्ट मनपा के पास जाती है। आईसीएमआर पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड होने पर स्वास्थ्य कर्मचारी वहां से डाटा लेकर मरीजों तक पहुंचते हैं। टेस्टिंग सेंटर और मरीजों के घर पहुंचने वाली टीम अलग है।
रिपोर्ट में विलंब की समस्या ऑटो जनरेटिव सिस्टम से समाप्त हो जाएगी। यह सिस्टम सोमवार से शुरू हो रहा है। आईसीएमआर पोर्टल में यह सुविधा नहीं रहने से विलंब हो रहा है।
पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट मिलने पर मरीज की स्थिति पर औषधोपचार निर्भर है। मनपा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय चिलकर ने बताया कि, बुखार रहने पर पैरासिटामल, खांसी तथा सर्दी रहने पर एंटीबायटिक जैसे टॉक्जीसीलीन, एजिथ्रोमायसीन, क्लैवम इसमें से कोई एक गोली दिन में एक बार ली जा सकती है। यदि ज्यादा तकलीफ है, तो डॉक्टर की सलाह से औषधि लेना बेहतर है। मरीज चाहे, तो अामदार निवास क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती हो सकता है। वहां सभी औषधोपचार उपलब्ध है।
आईसीएमआर पोर्टल से जानकारी लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी पॉजिटिव मरीज के घर पहुंचते हैं। उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर उसके अनुसार औषधि दी जाती है। मरीज की हालत ज्यादा खराब रहने पर उसे क्वारेंटाइन सेंटर अथवा अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी जाती है। मरीज द्वारा पता या फोन नंबर लिखने में कोई गलती होने पर िवलंब हो सकता है। ऐसे बहुत कम केसेस हैं।
-डॉ. संजय चिलकर, स्वास्थ्य अधिकारी, महानगरपालिका