आखिर क्यों इस तरह से किया जा रहा है पेंच की इस ‘बाघिन’ का अंतिम संस्कार
मध्य प्रदेश समाचार : मध्य प्रदेश के सिवनी स्थित पेंच बाघ अभयारण्य में 29 शावकों को जन्म दे चुकी बाघिन की मृत्यु हो गई है जो ‘कॉलरवाली’ के नाम से मशहूर थी. इस बाघिन को ‘पेंच की रानी’ व ‘सुपर मॉम’ के नाम से भी जाना जाता था. पेंच बाघ अभयारण्य के क्षेत्र संचालक अशोक मिश्रा ने रविवार को बताया, “पेंच बाघ अभयारण्य, सिवनी के अंतर्गत परिक्षेत्र कर्माझिरी के बीट कुम्भादेव में विश्व प्रसिद्ध ‘कॉलरवाली’ बाघिन टी-15 ने शनिवार शाम 6.15 बजे अंतिम सांस ली।
उन्होंने कहा कि लगभग साढ़े सोलह वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी इस बाघिन की मृत्यु उसकी वृद्धावस्था के कारण हुई. मिश्रा ने बताया कि पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा विगत एक सप्ताह से इस पर लगातार निगरानी रखी जा रही थी. उन्होंने कहा कि इसकी मृत्यु उपरांत पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा एवं डॉ. अमोल रोकड़े, पशु चिकित्सक स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ एंड फारेंसिक हेल्थ, जबलपुर ने रविवार को प्रातः राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकारण के मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार शव परीक्षण करके विसरा अंगों का प्रयोगशाला जांच हेतु संग्रहण किया है।
जन्म 2005 के सितंबर माह में हुआ था : मिश्रा ने बताया कि पेंच बाघ अभयारण्य, सिवनी को संपूर्ण विश्व में पहचान देने वाली इस बाघिन ‘टी-15’ का जन्म वर्ष 2005 के सितंबर माह में उस समय की विख्यात बाघिन ‘बड़ी मादा’ से हुआ था. आगे चलकर ‘बड़ी मादा’ की मृत्यु के पश्चात ‘कॉलरवाली’ ने अपनी मां की विरासत को गौरवपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि ‘कॉलरवाली’ बाघिन ने मई 2008 से दिसंबर 2018 के मध्य कुल आठ बार में 29 शावकों को जन्म दिया और पेंच में बाघों का कुनबा बढ़ाने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया।
29 शावकों को जन्म देना विश्व रिकॉर्ड है : मिश्रा ने दावा किया, “एक बाघिन का अपने जीवन काल में 29 शावकों को जन्म देना एक विश्व रिकॉर्ड है और 29 शावकों में से 25 शावकों को जन्म पश्चात एक बाघिन द्वारा जीवित रख पाना भी अपने आप में अभूतपूर्व कीर्तिमान है.” उन्होंने कहा कि ‘कॉलरवाली’ बाघिन ने मई 2008 में प्रथम बार में तीन शावकों को, अक्टूबर 2008 में चार शावकों को, अक्टूबर 2010 में पांच शावकों को, मई 2012 में तीन शावकों को, अक्टूबर 2013 में तीन शावकों को अप्रैल 2015 में चार शावकों को, 2017 में तीन शावकों को और दिसंबर 2018 में चार शावकों को जन्म दिया था।
मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में पाटदेव बाघिन (टी4) जो कि अपने पांच शावकों के साथ पार्क की शोभा बढ़ा रही है, वह ‘कॉलरवाली’ बाघिन की ही संतान है. पार्क प्रबंधन को पूर्ण विश्वास है कि यह बाघिन शीघ्र ही अपनी मॉ का स्थान लेकर कॉलरवाली की विरासत को आगे बढ़ाएगी. उन्होंने कहा कि टी-15 कॉलरवाली बाघिन की मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया. मिश्रा ने बताया कि इसकी मृत्यु पर पार्क प्रबंधन से लेकर विश्व के वन्यप्राणी प्रेमी दुखी हैं।